भारत के राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन ने लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का एक चुनाव प्रचार संदेश रिकॉर्ड करने से मना कर दिया है। सीपीआई के इस संदेश की स्क्रिप्ट पर प्रसार भारती ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद दूरदर्शन की तरफ से यह कदम उठाया गया।
दरअसल सीपीआई के इस चुनावी संदेश में आरएसएस, फासीवादी विचारधारा और एनडीए सरकार पर आरएसएस की नस्लीय श्रेष्ठता जैसी बातों का इस्तेमाल किया गया था। इस चुनाव प्रचार के मैसेज में यह भी कहा गया था कि यह विचारधारा ‘मुसोलिनी और हिटलर के स्कूल’ से ली गई है। इस पर आपत्ति जताते हुए प्रसार भारती ने सीपीआई से इन शब्दों को हटाने के लिए कहा था। इस फैसले पर सफाई देते हुए प्रसार भारती के सीईओ ने कहा है कि ये फैसला स्क्रिप्ट वेटिंग कमेटी ने लिया था, जिसमें लोकसभा के पूर्व महासचिव जैसे स्वतंत्र लोग हैं।
प्रसार भारती की स्क्रिप्ट पुनरीक्षण समिति ने सीपीआई के संदेश के जिस भाग पर आपत्ति आपत्ति जताई थी, उसमें लिखा था, “दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को आरएसएस की नस्लीय श्रेष्ठता की विचारधारा से संचालित एनडीए सरकार द्वारा दबाया जा रहा है। उन्होंने इस विचारधारा को मुसोलिनी और हिटलर के स्कूल से उधार लिया है। इनका सिद्धांत हमेशा अमीरों और सांप्रदायिक ताकतों के अधीन है। अगर ये ताकतें दुबारा सत्ता में आ गईं तो ये भारत की सांस्कृतिक विविधता को खत्म कर देंगी।”
दूरदर्शन की तरफ से सीपीआई को आवंटित प्रचार समय के लिए पार्टी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता बिनॉय विश्वम को चुनावी संदेश रिकॉर्ड करवाना था। प्रसार भारती द्वारा चुनावी संदेश रिकार्ड किये जाने से इनकार पर विश्वम ने कहा कि पार्टी ने पहले ही प्रचार सामग्री को लिखित रूप में प्रसार भारती के पास जमा करा दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि दूरदर्शन पीएम मोदी के इशारों पर काम कर रहा है और इस लिए उनका यह संदेश नहीं चलने दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग के पास लेकर जाएगी।
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