मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का बृहस्पतिवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। अस्पताल और पार्टी के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
येचुरी 72 वर्ष के थे। उनकी हालत पिछले कुछ दिन से गंभीर बनी हुई थी और उन्हें कृत्रिम श्वसन प्रणाली पर रखा गया था। येचुरी का निधन अपराह्न तीन बजकर पांच मिनट पर हुआ।
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सिताराम चेयुरी के निधन पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। गांधी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ के जरिए अपने दर्द को साझा किया। उन्होंने लिखा, “सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे। भारत के विचार के रक्षक और हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले। मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।“
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सीताराम येचुरी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि सीताराम येचुरी का निधन हम सभी के लिए एक गहरी क्षति है। हमारे देश के प्रति उनकी वर्षों की सेवा और समर्पण सम्मान के योग्य है। वह स्वाभाविक रूप से एक सभ्य इंसान थे, जो राजनीति की कठोर दुनिया में संतुलन और सौम्यता की भावना लेकर आए। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके प्रियजनों को इस त्रासदी का सामना करने की शक्ति और साहस मिले।
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येचुरी के निधन पर आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा, "...कुछ हफ्तों पहले मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। 'आगे क्या करना है' उनका हमेशा ये कहना... मैं समझता हूं कि समकालीन राजनीति में उनकी जैसी समझ बहुत कम लोगों के पास थी... संविधान की समझ... अभी लालू यादव का फोन आया... जब चुनाव के नतीजे आते थे और अच्छे नहीं होते थे तो वे कहते थे कि चुनाव ही तो हारे हैं, हौसला थोड़े ही हारे हैं... सीताराम येचुरी बनना आसान नहीं है।"
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उनके निधन पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने कहा, "वे मेरे बहुत अजीज दोस्त थे। आज हिंदुस्तान महरूम हो गया एक ऐसे नेता से जो बेटोक बात करता था... उनका विचार था कि यह वतन हम सभी का है चाहे आप किसी भी जबान के हों और इसे ऐसे ही रहने दिया जाए... हर एक को इस वतन से, दुनिया से जाना ही है... आए वहीं से हो और वापस वहीं जाना है। उन्होंने (सीताराम येचुरी) हमारे लिए क्या-क्या लड़ाईयां नहीं लड़ीं... आज यकीन नहीं होता है कि वे हमारे बीच नहीं हैं... मैं इस गम में शरीक हूं..."
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सीताराम येचुरी के निधन पर सीपीआई (एम) के महासचिव डी. राजा ने कहा, "...हमने अलग-अलग मुद्दों पर साथ मिलकर काम किया... हमने वामपंथी एकता, कम्युनिस्ट एकता को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम किया। वह एक महान व्यक्ति थे... हम दोनों संसद में साथ थे, साथ मिलकर काम किया... यह पूरे वामपंथी, कम्युनिस्ट पक्ष के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं यहां(AIIMS) अपनी पार्टी के दुख को व्यक्त करने आया हूं..."
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सीताराम येचुरी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए इसे भारतीय राजनीति के लिए क्षति करार दिया। उन्होंने येचुरी के परिवार, मित्रों और पार्टी सहयोगियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
बनर्जी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘सीताराम येचुरी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। मैं उन्हें एक वरिष्ठ सांसद के रूप में जानती थी और उनका निधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए क्षति है। मैं उनके परिवार, मित्रों और सहयोगियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।’’
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तृणमूल कांग्रेस के महासचिव एवं सांसद अभिषेक बनर्जी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वरिष्ठ माकपा नेता सीताराम येचुरी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। वैसे तो हमारी राजनीतिक विचारधाराएं अलग थीं, लेकिन पिछले कुछ सालों में विपक्ष की कई बैठकों में मुझे उनसे बातचीत करने का सौभाग्य मिला।’’
उन्होंने कहा, ‘‘येचुरी की सादगी, लोक नीति की गहन समझ और संसदीय मामलों में उनकी गहरी अंतर्दृष्टि वास्तव में उल्लेखनीय थी। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी संवेदनाएं। उनकी आत्मा को शांति मिले। ओम शांति।’’
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राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भी उनके निधन पर दुख जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वे अपनी विचारधारा के प्रति बेहद निष्ठावान थे।
गहलोत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा,‘‘सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। सीताराम येचुरी अपनी विचारधारा के प्रति बेहद कर्मठ एवं निष्ठावान थे। येचुरी को देश-विदेश के राजनीतिक मुद्दों की गहरी समझ थी। उनका जाना भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा नुकसान है।’’
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सीताराम येचुरी के निधन पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, "...यह उनकी पार्टी, दोस्तों और परिवार के लिए बहुत बड़ी क्षति है। लेकिन मैं भी एक तरह की व्यक्तिगत क्षति महसूस कर रहा हूं क्योंकि मैं उन्हें लंबे समय से जानता था। हम सभी उम्र के हिसाब से समकालीन हैं। हमने लगभग एक ही समय में सक्रिय राजनीति में रुचि लेना शुरू किया था। इसलिए, मैं उन्हें लंबे समय से जानता था। वह दृढ़ विश्वास वाले व्यक्ति थे, जो अपने विचारों और आदर्शों पर अडिग थे और जिस पर उनका विश्वास था, उसके प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। मैं उनके परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं..."
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बता दें कि, राजनीति में येचुरी का सफर ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) से शुरू हुआ था। वह 1984 में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य बने थे जबकि 1992 में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए।
वह 2005 से 2017 तक 12 वर्ष तक राज्यसभा सदस्य रहे। वह 19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी के 21वें अधिवेशन में सीपीआई (एम) के पांचवें महासचिव बने और उन्होंने प्रकाश करात से उस समय पदभार संभाला था।
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