बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में जांच की आंच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंच गई है। मामले की सुनवाई कर रही विशेष पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले के आरोपी डॉ. अश्विनी ने अपने वकील के जरिए शेल्टर होम के संचालन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की जांच के लिए अर्जी दाखिल की थी। बता दें कि अश्विनी को पिछले साल नवंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था। अश्विनी पर नाबालिग लड़कियों को ड्रग्स का इंजेक्शन देने का आरोप है।
मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किए गए सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित उक्त बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मामला जून 2018 में सामने आया था। मामला सामने आने के बाद राजनीतिक दबाव लगातार बढ़ने लगा, जिसके बाद 26 जुलाई, 2018 को राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
ब्रजेश से अपने पति चंद्रशेखर वर्मा की निकटता को लेकर बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अगस्त 2018 में इस्तीफा देना पड़ा था। आर्म्स ऐक्ट के एक मामले में चंद्रशेखर और मंजू ने 29 अक्टूबर और 20 नवबंर, 2018 को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। तभी से दोनों न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
बता दें कि पिछले साल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का मामला उजागर होने पर पूरे देश का ध्यान इस ओर गया था। वह मामला भी टीआईएसएस की रिपोर्ट आने पर उजागर हुआ था, जिसमें एक एनजीओ द्वारा संचालित शेल्टर होम में लड़कियों का यौन-उत्पीड़न किए जाने की बात सामने आई। शेल्टर होम का संचालन ब्रजेश ठाकुर द्वारा किया जा रहा था। मामले में ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को मामला दर्ज किया गया। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
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