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क्या संसद से बचते हैं प्रधानमंत्री मोदी: बीते एक साल में पीएम ने सिर्फ 14 घंटे ही बिताए लोकसभा में

वह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो सोते ही नहींहै, वह ऐसे पीएम है जो रोज 18 घंटे काम करते हैं, वह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनकेलिए संसद मंदिर और संविधान गीता है। देश के लोगों को बीते साढ़े चार साल में यही बताया-समझायागया है। लेकिन हकीकत इससे उलट है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते एक साल के दौरान लोकसभा में सिर्फ 14 घंटे और राज्यसभा में सिर्फ 10 घंटे बिताए हैं। यह दावा किया है तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने।

प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए डेरेक ओ ब्रायन ने उन पर आरोप लगाया कि मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन किसी भी संस्था का सम्मान नहीं करता है, और इसमें संसद भी शामिल है। राज्यासभा में डेरेक ने कहा कि, “हमें खुशी होती कि वे अगर चर्चा के दौरान सदन में रहते, इससे उनका रवैया भी बदलता।”

उन्होंने बताया कि, “अगर संसद का रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने बीते एक साल के दौरान लोकसभा में सिर्फ 14 घंटे और राज्यसभा में सिर्फ 10 घंटे बिताए।”

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गौरतलब है कि अभी बुधवार को जब लोकसभा में राफेल सौदे पर चर्चा हुई तो प्रधानमंत्री सदन में नहीं थे। चूंक यह चर्चा गुरुवार को भी जारी रहनी थी, इसलिए उम्मीद की गई कि प्रधानमंत्री चर्चा का जवाब देने के लिए सदन में आएंगे। लेकिन वे हमेशा की तरह एक बार फिर गायब रहे।

डेरेक ओ ब्रायन ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर यह आरोप भी लगाया कि उसने संसदीय इतिहास में ऐस रक्षा मामले पर रक्षा मंत्री के बजाए वित्त मंत्री ने संसद में बयान दिया, जबकि रक्षा मंत्री संसद में मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। हालांकि शुक्रवार को रक्षा मंत्री ने राफेल पर चर्चा में हिस्सा लिया और विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया।

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डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि बीते 10 साल में करीब 70 फीसदी बिल संसदीय समितियों के पास जांच-पड़ताल के लिए भेजे गए, लेकिन मोदी सरकार के दौर में सिर्फ 20 फीसदी बिल ही ऐसे रहे जिनकी संसदीय समितियों ने जांच की होगी। उन्होंने कहा कि इस सत्र में पेश किए गए 6 बिलों में से एक भी संसदीय समिति के पास नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि पिछले साल बजट तक बिना चर्चा के पास कर दिया गया।

एक सांसद, कांग्रेस के कुमार केतकर ने भी कहा कि सरकार तीन तलाक बिल को भी संसदीय समिति के पास भेजने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि राफेल सौदे में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच की मांग करना कहीं से भी नाजायज़ नहीं है, लेकिन सरकार ने इस पर अड़ियल रुख अपना रखा है।

ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री की संसद से गैर मौजूदगी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी तीखा कटाक्ष किया था। उन्होंने कहा कि था कि राफेल पर सवालों के जवाब देने से बच रहे हैं प्रधानमंत्री।

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