प्रधानमंत्री का दौरा हमेशा से प्रशासन के लिए एक चुनौती रहा है। और अगर यह दौरा नरेंद्र मोदी का है तो चुनौतियां और ज्यादा बड़ी हो जाती हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि उन्हें अपने पूर्ववर्तियों या अन्य वीवीआईपी की तुलना में कुछ ज्यादा सुरक्षा की जरूरत है, बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वह किसी अन्य की तुलना में कहीं ज्यादा दौरे करते हैं। हर बार जब वह कहीं के दौरे पर जाते हैं तो वहां के प्रशासन को उनके दौरे की तैयारी के लिए 24 घंटे लगातार काम करना पड़ता है। उदाहरण के लिए 14 अक्टूबर को वह बिहार के दौरे पर होंगे जो कि इस साल का उनका तीसरा बिहार दौरा होगा। आजादी के बाद किसी भी प्रधानमंत्री, यहां तक की 17 वर्षों तक सत्ता में रहीं इंदिरा गांधी ने भी सिर्फ साढ़े तीन साल में बिहार (या किसी अन्य राज्य का भी) का इतना दौरा नहीं किया।
2015 के अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पीएम मोदी ने अकेले 30 से ज्यादा जनसभाओं को संबोधित किया था। चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले जुलाई और अगस्त में भी उन्होंने बिहार में कई सरकारी कार्यक्रमों में भाग लिया। इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने प्रदर्शन को और आगे बढ़ाया। यहां तक कि अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस में उन्होंने कई रोड शो का नेतृत्व भी किया।
वह गुजरात में भी यही कर रहे हैं, जहां उन्होंने एक तरह से डेरा डाला हुआ है। चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के बाद किसी भी नई परियोजना की शुरुआत या उसका उद्घाटन नहीं किया जा सकता है, इसलिए वह यह सब तारीखों के ऐलान से ठीक पहले कर रहे हैं।
उनके आगामी बिहार दौरे का उदाहरण लें। अपने दौरे में वह पटना की घनी आबादी वाले क्षेत्र अशोक राजपथ पर स्थित पटना साइंस कॉलेज में पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में भाग लेंगे और फिर राजधानी से 90 किमी दूर मोकामा का दौरा करेंगे, जो कि पटना जिले में ही है। 5 जनवरी को गुरू गोविंद सिंह की 350वीं जयंती समारोह (प्रकाश उत्सव) के अवसर पर उनके बिहार दौरे की तरह इस बार भी इंतेजाम करना प्रशासन के लिए आसान काम नहीं है।
14 अक्टूबर के उनके दौरे से पहले पटना एयरपोर्ट से साइंस कॉलेज तक 10 किमी के पूरे रास्ते को खाली करा लिया गया है और फुटपाथी दुकानदारों को हटा दिया गया है। फुटपाथ और रैन बसेरों को बांस बल्लियों से घेर दिया गया है। कार्यक्रम के अनुसार पीएम का विशेष विमान पटना एयरपोर्ट पर उतरेगा। पीएम के सड़क मार्ग से ही कार्यक्रम स्थल तक जाने की संभावना है लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एनआईटी और पटना कॉलेज मैदान पर हेलीकॉप्टर के उतरने के लिए हेलीपैड की व्यवस्था भी रखी गई है। एनआईटी और पटना कॉलेज साइंस कॉलेज के पास में ही हैं। इत्तेफाक से प्रधानमंत्री का यह दौरा धनतेरस से महज कुछ दिन पहले हो रहा है, जिस दौरान सड़क किनारे और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों का अच्छा धंधा होता है।
इसमें को कोई संदेह नहीं कि कोष के भूखे पटना विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सौंदर्यीकरण के नाम पर कुछ बदलाव किये गए हैं और सड़क के गड्ढों को भर दिया गया है, लेकिन यह सारी कवायद छात्रों की पढ़ाई को प्रभावित कर रही है। वास्तव में यह हमेशा आखिरी प्राथमिकता होती है।
यह पहली बार नहीं है कि मोदी के लगातार दौरे का राज्य पर असर पड़ रहा है। इस महीने की शुरुआत में गुजरात के भरूच जिले में कृषि कॉलेज के छात्रों के भारी विरोध के बावजूद पीएम के दौरे के लिए हेलीपैड बनाने के लिए कपास की खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया गया। इससे पहले प्रधानमंत्री के 12 मार्च 2016 के कार्यक्रम के लिए समय से पहले गेहूं की फसलों को काटे जाने का बिहार के वैशाली जिले के किसानों ने भी विरोध किया था। 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान मधेपुरा जिले के बी एन मंडल विश्वविद्यालय परिसर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली की व्यवस्था करने के लिए 400 से 500 पेड़ों (जिनमें से कई फल लगे हुए थे) और कई पौधों को काट दिया गया था। पर्यावरण कार्यकर्ता रणजीव और स्थानीय लोगों ने इसके खिलाफ जोरदार विरोध किया था।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined