प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर चीज का श्रेय खुद लेने की ऐसी आदत लग गई है कि उन्हें ये ख्याल ही नहीं रहता कि दुनिया का हर फैसला भारत का प्रधानमंत्री नहीं ले सकता। तीन तलाक पर मुस्लिम समुदाय को खौफ में डालने वाला कानून पेश करने के बाद उन्होंने अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में बताया कि उनकी सरकार ने यह फैसला किया है कि 45 साल से अधिक की मुस्लिम महिला अब बिना मेहरम (पुरुष साथी) के हज जा सकती है। हकीकत यह है कि यह फैसला देश की हज कमेटी करीब चार-पांच महीने पहले कर चुकी थी और नए नियमों वाले फॉर्म भी छप चुके हैं। अकेले जाने वाली महिलाओं ने इस नए नियम के तहत वीजा के लिए आवेदन भी करना शुरू कर दिया है।
भारत की हज कमेटी ने यह फैसला सऊदी अरब द्वारा नियमों में तब्दीली के बाद किया। सऊदी अरब ने तकरीबन दो साल पहले अपने नियमों में बदलाव करके 45 साल या उससे अधिक उम्र वाली महिलाओं को बिना मेहरम (पुरुष साथी) के आने की अनुमति दी थी। इस छूट के बाद दुनिया के कई देशों जैसे मलेशिया, इंडोनेशिया आदि ने अपने नियमों में बदलाव किया था और अकेली महिलाएं समूह में हज के लिए जाने भी लगी हैं।
इस पूरे मसले को लेकर हज कमेटी के मोहम्मद मोहसिन ने नवजीवन को बताया, “2017 में हज के नियमों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई कमेटी (सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार) ने यह सिफारिश की थी कि भारत को भी सऊदी अरब द्वारा किए गए इस नियम परिवर्तन को अपना लेना चाहिए। इसके बाद हज कमेटी ने नियमों में तब्दीली करते हुए अकेले जाने वाली महिलाओं के लिए प्रावधान कर दिया था। नया वीजा फॉर्म भी जारी हो गया है और महिलाओं ने आवेदन करना भी शुरू कर दिया है।”
बड़ी हैरानी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में खुद को मुस्लिम महिलाओं का शुभचिंतक दिखाने की हड़बड़ी में इस सारी प्रक्रिया को बताना ही भूल गए। उन्होंने यह बात इस तरह से बताई जैसे उन्होंने अपनी तरफ से हज करने जाने वाली महिलाओं की सुविधा के लिए नए नियम बनाए हैं।
उनकी इस कोशिश से ऐसा लगता है कि वह मुस्लिम समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच विभाजन करना चाहते हैं और मुस्लिम महिलाओं के भीतर वोट बैंक बनाना चाहते हैं। इस मुद्दे पर जकात फाउंडेशन के जफर महमूद ने कहा, “इस फैसले में प्रधानमंत्री की कोई भूमिका ही नहीं है। भारत में यह फैसला बहुत देर से लिया गया। कई देश इस बारे में पहले ही पहल कर चुके हैं। हैरानी की बात है कि हर फैसले का सेहरा प्रधानमंत्री खुद अपने ही माथे पर बांधना चाहते हैं।”
जमात-ए-उलेमा-हिंद के महमूद मदनी ने बताया, “इस्लामिक स्कूल के चार बड़े पंथ हैं - हनफी, शाफी, मालिकी और हमबली। इनमें से शाफी और हमबली में महिलाओं को पहले से ही बिना मेहरम के जाने की इजाजत थी। हनफी और मालिकी में नहीं थी। इसे ही देखते हुए सऊदी अरब ने दो साल पहले 45 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं को बिना मेहरम के हज करने की इजाजत दी। इस नियम को बदलने का श्रेय सऊदी को जाता है, अब इसका श्रेय भी प्रधानमंत्री लेना चाहें तो कोई क्या करे।”
मुरादाबाद के समाजिक कार्यकर्ता सलीम बेग ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंदर से भारतीय मुसलमानों और खासतौर से मुसलमान पुरुषों की एक खौफनाक तस्वीर पेश करने में लगे हैं। इसी मकसद से वे तीन तलाक बिल लेकर आए हैं और अब ये हज वाली बात की है। वह यह दर्शाना चाहते हैं कि वे मुस्लिम महिला को मुक्ति दिलाने वाले हैं। ये सारा ढोंग इसीलिए रचा जा रहा है। जब सऊदी इस नियम में तब्दीली कर चुका है और हज कमेटी उस पर मुहर लगा चुकी है तो इस तब्दीली को अपने नाम करना उनकी छोटी सोच को दर्शाता है। मुस्लिम महिलाओं को बेवकूफ नहीं बना पाएंगे मोदी जी, वे उनके मुस्लिम विरोधी रवैये से वाकिफ हैं।”
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined