असम में 31 अगस्त को जारी एनआरसी की फाइनल लिस्ट को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। फाइनल लिस्ट में बड़ी संख्या में लोगों के नाम नहीं होने से राज्य के लोग इसकी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं। एनआरसी की इस लिस्ट पर तब और विवाद गहरा गया, जब इस लिस्ट में राज्य के ‘फौजी गांव’ के नाम से मशहूर सरुहरिद गांव के रहने वाले कई ऐसे लोगों के नाम नहीं शामिल किए गए हैं, जो सेना और अर्द्धसैनिक बलों में तैनात हैं। सबसे ताज्जुब की बात तो ये है कि लिस्ट में इन जवानों के परिजनों के नाम तो शामिल कर लिए गए हैं, लेकिन देश की सेवा में तैनात इन जवानों के नाम नदारद हैं।
Published: undefined
असम के बारपेटा जिले में स्थित सरुहरिद गांव इलाके में ‘फौजी गांव’ के नाम से चर्चित है। इस गांव में करीब 200 परिवार रहते हैं और इन परिवारों के करीब 20 सदस्य भारतीय सेना और अर्द्धसैनिकल बलों में तैनात हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से अधिकांश जवानों का नाम एनआरसी में नहीं है और वे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जूझ रहे हैं। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार गांव के इन फौजियों के नाम एनआरसी में नहीं होने से गांव के लोग काफी आक्रोशित हैं।
Published: undefined
खबर के अनुसार गांव में पूर्व फौजी दिलबर हुसैन का परिवार भी रहता है। पूर्व सैनिक होने के बावजूद उन्हें एनआरसी की फाइनल लिस्ट में शामिल नही किया गया है। दिलबर हुसैन के अलावा फाइनल एनआरसी में उनके भाई का भी नाम नहीं है। खास बात ये है कि दिलबर खुद सेना में कार्यरत रहे हैं और उनका छोटा भाई वर्तमान में सीआईएसएफ में तैनात है। ये जानकर तो आपको और आश्चर्य होगा कि उनके एक बड़े भाई ने देश के लिए कारगिल की जंग लड़ी थी। हालांकि उनके बड़े भाई का नाम एनआरसी में शामिल किया गया है, जबकि बाकी दोनों भाई सूची से बाहर रखे गए हैं।
Published: undefined
इस मामले पर दिलबर हुसैन ने काफी निराशा जताते हुए कहा कि “हम दुश्मनों से देश के लिए लड़ते हैं। हम पहले अपने फौजी परिवारों का सम्मान करते हैं। लेकिन, एनआरसी की फाइनल लिस्ट से हमें काफी निराशा हुई है। हम यहां भारतीय सेना के जवान हैं, लेकिन घर पर हम अपनी नागरिकता साबित करने की जंग लड़ रहे हैं।”
दिलबर हुसैन का मामला कोई एकलौता मामला नहीं है। राज्य के विभिन्न इलाकों में में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो सेना, अर्द्धसैनिक बलों में तैनात रहे हैं या हैं, लेकिन उनके नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं। एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए लोगों में इसको लेकर काफी नाराजगी है। आने वाले दिनों में सरकार और कोर्ट इनके मामलों पर क्या फैसला लेती हैं, वह समय ही बताएगा, लेकिल फिलहाल इतना तय़ है कि देश के लिए अपनी जान लगाकर ड्यूटी करने वालों को अपनी ही नागरिकता साबित करने के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined