प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के आवास पर गणपति पूजा में भाग लेने पर उठे विवाद के बीच राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को कहा कि सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों को किसी निजी आयोजन का प्रचार नहीं करना चाहिए।
सिब्बल ने कहा कि किसी को भी खुद को ऐसी परिस्थिति में नहीं डालना चाहिए, जहां लोग किसी संस्था के बारे में प्रलाप करना शुरू कर दें।
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वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) के अध्यक्ष सिब्बल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को कभी ऐसे निजी आयोजन में शामिल होने में अपनी रुचि नहीं दिखानी चाहिए थी और उन्होंने जिनसे सलाह ली होगी उन्हें उनको बताना चाहिए था कि इससे गलत संदेश जा सकता है।
मोदी ने बुधवार को प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के दिल्ली स्थित आवास पर गणपति पूजा में भाग लिया था।
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मोदी ने पूजा में शामिल होने की तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘‘सीजेआई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ जी के आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुआ। भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और अद्भुत स्वास्थ्य प्रदान करें।’’
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘मैंने सोशल मीडिया पर कुछ देखा और सच कहूं तो मैं हैरान रह गया। मैं 50 साल से ज्यादा समय से उच्चतम न्यायालय में और इस संस्था में हूं। मैंने भूतपूर्व और वर्तमान दोनों ही महान न्यायाधीशों को देखा है और हम इस संस्था के प्रति भावुक हैं।’’
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं वर्तमान प्रधान न्यायाधीश का बहुत सम्मान करता हू। मैं बिना किसी झिझक के कह सकता हूं कि वह बहुत ही व्यक्तिगत ईमानदारी वाले व्यक्ति हैं। जब मैंने यह वायरल क्लिप देखी तो मैं वाकई हैरान रह गया।’’
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सिब्बल ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से उनके कुछ मुद्दे हैं और किसी भी सार्वजनिक पदाधिकारी को विशेषकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के प्रधान न्यायाधीश जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों को निजी कार्यक्रम का प्रचार नहीं करना चाहिए।
पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि शायद सीजेआई को यह पता नहीं रहा होगा कि इसे प्रचारित किया जा रहा है, यह दुखद है। दूसरी बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री को ऐसे निजी कार्यक्रम में जाने में कभी रुचि नहीं दिखानी चाहिए थी, क्योंकि प्रधानमंत्री और जिन लोगों से उन्होंने परामर्श किया होगा, उन्हें उनको बताना चाहिए था कि इससे गलत संकेत जा सकता है।’’
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उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि ऐसी क्लिप ने लोगों के दिमाग पर क्या छाप छोड़ी होगी।
सिब्बल ने कहा कि अगर इसे लेकर कोई गपशप होती है तो यह संस्था के लिए सही नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा धर्म और मेरी आस्थाओं के संदर्भ में मेरी अभिव्यक्ति का तरीका एक निजी मामला है और यह सार्वजनिक नहीं है। इसलिए कोई वीडियोग्राफी नहीं होनी चाहिए या तस्वीर नहीं खिंचनी चाहिए।’’
इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने एक पोस्ट में कहा था कि प्रधान न्यायाधीश ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच अधिकारों के विभाजन के साथ समझौता किया है।-
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