भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने आज (बृहस्पतिवार) राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ले ली। इस दौरान राज्यसभा शेम-शेम के नारे से गूंज उठा। गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाए जाने को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताकर इसकी आलोचलना की है। बता दें कि गोगोई को सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया था। मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने से एक पहले गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
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उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली।
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चार महीने पहले शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद से रिटायर हुए जस्टिस गोगोई ने अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि संसद में उनकी मौजूदगी विधायिका के सामने न्यायापालिका के रुख को रखने का एक अवसर होगी। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका और विधायिका को राष्ट्र निर्माण के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। गोगोई ने कहा था कि राज्यसभा में अपनी मौजूदगी के जरिये वह न्यायपालिका के मुद्दों को असरदार तरीके से उठा सकेंगे।
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पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा में नामित करने के फैसले पर हर तरफ से सवाल उठे थे। यहां तक की उनके पूर्व सहयोगी जजों ने भी सवाल उठाए थे। इन सवालों के पीछे उनके अयोध्या और राफेल मामलों पर सुनाए गए फैसले हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है। जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर नेक सिद्धांतों से समझौता किया है।
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वहीं कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने रंजन गोगोई से पांच सवाल पूछे थे। उन्होंने कहा था कि रंजन गोगोई कृपया यह भी बताएं कि अपने ही केस में खुद निर्णय क्यों? लिफाफा बंद न्यायिक प्रणाली क्यों? चुनावी बॉन्ड का मसला क्यों नहीं लिया गया? राफेल मामले में क्यों क्लीन चिट दी गई? सीबीआई निदेशक को क्यों हटाया गया? वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि क्या यह इनाम है? लोगों को जजों की स्वतंत्रता में यकीन कैसे रहेगा?
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