डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के गिरफ्तारी के बाद 25 अगस्त 2017 को भड़की हिंसा ने हरियाणा के कानून व्यवस्था की कलई खोलकर रख दी थी। उस समय हिंसा रोकने में नाकाम खट्टर सरकार की हरियाणा पुलिस अब 53 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई है, जिसके बाद पंचकूला कोर्ट ने राम रहीम के 53 समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह और हत्या के प्रयास के आरोपों को एफआईआर से हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आगे कहा कि पुलिस के पास इन आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
पंचकुला डेरा के इंचार्ज चमकौर सिंह, प्रवक्ता सुरेंद्र धीमान सहित कुल 53 आरोपी ऐसे है कि जिन पर देशद्रोह और हत्या के प्रयास की धाराएं लगी हुई थी।हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया कि बाबा राम रहीम की मुहबोली बेटी हनीप्रीत इंसान, आदित्य इंसान और दूसरे लोगों के खिलाफ देशद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र के मामले जारी रहेंगे।
बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस मामले से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग या ऐसे तथ्य पेश नहीं कर पाई जिससे देशद्रोह के आरोप साबित हो सकें। कोर्ट ने कहा कि 121, 121ए के तहत कार्रवाई करने के लिए स्पेसिफिक नंबर नहीं हैं। यानी की आरोपियों की पूरी जानकारी नहीं हैं। जिस तरह से लोग वहां पहुंचे थे, उससे ये साबित नहीं होता कि उनके पास कोई हथियार मौजूद थे। कोर्ट ने आगे कहा कि जो भीड़ जमा थी उसे फोर्स से भी काबू पाया जा सकता था। ऐसे कोई भी सबूत नहीं मिलते कि ये देशद्रोह का मामला हो। केंद्र सरकार के होम मिनिस्ट्री या हरियाणा सरकार के होम डिपार्टमेंट से कोई परमिशन ही नहीं ली गई। जबकि देशद्रोह के मामले में कोर्ट में चालान जमा करवाने से पहले पुलिस को होम डिपार्टमेंट से परमिशन लेना जरूरी होता है।
25 अगस्त,2017 के दिन हुए हिंसा में बलात्कारी बाबा राम रहीम के समर्थकों ने हरियाणा में लगभग 127 करोड़ रुपये का नुकसान किया था। जिसमें बाबा राम रहीम के 53 समर्थकों को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस हिंसा के दौरान 36 लोगों की मौत भी हुई थी। पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति को कुर्क करने का भी आदेश दिया था।
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