देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रस्ताव को लेकर बहस तेज हो गई है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबर ने एक साथ चुनाव कराने की बात को जुमला करार दिया है। दिल्ली में 30 जनवरी को अपनी किताब पर हो रहे एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “संसदीय राजनीति में मौजूदा संविधान के तहत एक साथ चुनाव नहीं कराया जा सकता। कुछ चुनाव पहले और कुछ बाद में करा कर आप बस नकली तौर पर साथ चुनावों का दिखावा कर सकते हैं, लेकिन 30 राज्यों में आप यह कैसे कर सकते हैं? यह एक और ‘चुनावी जुमला’ है। ‘एक देश एक टैक्स’ एक जुमला था और अब एक देश एक चुनाव एक जुमला है।”
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लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करने के मुद्दे पर दिए गए अपने बयान से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पलट गए हैं। उन्होंने कहा, “मैं बहुत पहले से इस विचार का समर्थक हूं। अगर एक साथ चुनाव होगा तो खर्च कम होगा और चुनी गई सरकार को काम करने का ज्यादा समय मिलेगा। हालांकि इस प्रस्ताव के लिए सबकी सहमति की जरूरत है।”
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रधानमंत्री मोदी के का कुछ पार्टियां विरोध कर रही हैं तो कुछ इसके समर्थन में खड़ी है। लेफ्ट पार्टियों के बाद समाजवादी पार्टी ने भी एक साथ चुनाव कराने का विरोध किया है। सपा के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि जिन राज्यों में सरकारों का विधानसभा का कार्यकाल 2 से 3 साल तक का बचा है, क्या वहां के मुख्यमंत्री इसके लिए तैयार होंगे? उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए तैयार नहीं होंगे।
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