कांग्रेस नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कश्मीर नीति को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का 'कठोर, सैन्यवादी' दृष्टिकोण राज्य से आतंकवाद को समाप्त करने में विफल रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने ट्वीट किया, "यह दावा किया गया था कि कठोर, मजबूत सैन्यवादी दृष्टिकोण आतंकवाद व घुसपैठ को खत्म कर देगा। क्या ऐसा हो पाया?" पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की। सिब्बल ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियां सिर्फ बयानबाजी हैं।
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7 जनवरी को चिदंबरम ने ट्विटर के जरिये मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, "यह दावा किया गया था कि कठोर, मजबूत सैन्यवादी दृष्टिकोण आतंकवाद व घुसपैठ को खत्म कर देगा। क्या ऐसा हो पाया?" उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “जम्मू एवं कश्मीर में मारे गए नागरिकों व आतंकवादियों की संख्या 2014 से 2017 तक लगभग दोगुनी हो गई। यह क्रमश: 28 से 57 व 110 से 218 हो गई है। इस अवधि में मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़कर 47 से 83 हो गई है।”
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पूर्व गृहमंत्री ने कहा, "यदि आप उनमें से हैं जो यह मानते हैं कि सरकार के कठोर व सैन्यवादी दृष्टिकोण को एक अवसर दिया जाना चाहिए, तो आपको अपना विचार बदल लेना चाहिए।अक्लमंदी जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे के राजनीतिक समाधान के लिए सक्रियता से काम करने में ही है, जहां 1989 से शुरू हुए अलगाववादी अभियान में हजारों लोगों की जान जा चुकी है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह दोनों को कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए कठिन प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।"
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वहीं, कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी कहा कि जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियां महज बयानबाजी हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "हर रोज जवान व पुलिस कर्मी शहीद हो रहे हैं। क्या सरकार इसका जवाब देगी? लोगों की जान जाने का सिलसिला कब बंद होगा?"
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दोनों नेताओं का बयान जम्मू एवं कश्मीर के सोपोर में 6 जनवरी को आतंकवादियों द्वारा किए गए विस्फोट में चार पुलिसकर्मियों के मारे जाने के एक दिन बाद आया है।
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