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बिहार में बिजली के ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर लगाने का विरोध, RJD एक अक्टूबर को राज्य भर में करेगी विरोध प्रदर्शन

आरजेडी नेता ने कहा, "सरकार बिहार में इन मीटरों को लगाने के बारे में कैसे सोच सकती है, जहां 35 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 6,000 रुपये से अधिक नहीं है। हाल ही में बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।"

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

बिहार की मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने बिजली के ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर से उपभोक्ताओं के विद्युत बिल में चार से पांच गुना वृद्धि होने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि पार्टी इन मीटरों को लगाने के खिलाफ एक अक्टूबर को पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करेगी।

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आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार द्वारा बिजली के ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर लगाए जाने को लेकर एक अक्टूबर को राजद कार्यकर्ता पूरे राज्य में प्रखंड कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

सिंह ने आरोप लगाया, "सरकार निजी बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बिजली के ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर जबरन लगा रही है। इससे बिजली बिल में चार से पांच गुना वृद्धि हुई है, जिससे उपभोक्ताओं पर भारी वित्तीय दबाव पड़ रहा है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।"

उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत इन मीटरों को लगाना बंद करे ताकि लोगों को राहत मिल सके।

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आरजेडी नेता ने कहा कि स्मार्ट मीटर की प्रासंगिकता की जांच के लिए तीसरे पक्ष की समीक्षा समिति का भी गठन किया जाना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह नीतीश कुमार सरकार के समर्थन से निजी बिजली कंपनियों की जनता से जबरन वसूली है। सिंह ने कहा कि कई राज्यों की सरकारों ने ‘स्मार्ट’ मीटर लगाने की अनुमति नहीं दी है।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने समय सीमा तय की है कि मार्च 2025 तक सभी जिलों में ‘स्मार्ट’ मीटर लगाने का काम पूरा कर लिया जाए।

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आरजेडी नेता ने कहा, "सरकार बिहार में इन मीटरों को लगाने के बारे में कैसे सोच सकती है, जहां 35 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 6,000 रुपये से अधिक नहीं है। हाल ही में बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।"

उन्होंने कहा कि जाति सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि 30 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 10,000 रुपये से अधिक नहीं है।

सिंह ने कहा, "यह बिहार के लोगों के साथ सरासर अन्याय है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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