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विपक्ष ने PM मोदी पर निशाना साधा, ‘अघोषित आपातकाल’ की याद दिलाई, खड़गे बोले- रस्सी जल गई, बल नहीं गया

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि बीजेपी चुनाव में बहुमत से दूर रह गई क्योंकि देश के लोगों को एहसास हो गया है कि वह संविधान के खिलाफ है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (फोटो : Getty Images)
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (फोटो : Getty Images) 

विपक्षी नेताओं ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘आपातकाल’’ वाली टिप्पणी को लेकर उन पर पलटवार करते हुए उनकी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया और कहा कि उसे मौजूदा मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 50 साल पहले के आपातकाल का जिक्र किया, लेकिन पिछले 10 वर्षों के उस ‘अघोषित आपातकाल’ को भूल गए जिसका जनता ने इस लोकसभा चुनाव में अंत कर दिया है।

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प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी जी अपने रस्मी संबोधन में आज ज़रुरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। नीट और अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धांधली और भ्रष्टाचार के बारे में कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी मोदी जी मौन साधे रहे। ’’

खड़गे ने दावा किया, ‘‘मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न वहां गए और ना ही उन्होंने आज के अपने भाषण में ताज़ा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है। असम व पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महँगाई हो, रुपये का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक बाजार घोटाला हो- अगली जनगणना लंबे समय से मोदी सरकार ने लंबित रखी है, जातिगत जनगणना पर भी मोदी जी बिलकुल चुप थे। ’’

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उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, आप विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया।’’

कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि लोगों ने मोदी जी के ख़िलाफ़ जनमत दिया है, इसके बावजूद अगर वो प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए।

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तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि बीजेपी चुनाव में बहुमत से दूर रह गई क्योंकि देश के लोगों को एहसास हो गया है कि वह संविधान के खिलाफ है।

उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी 303 से गिरकर 240 पर आ गई है, वे अल्पमत सरकार चला रहे हैं। वे ‘400 पार’ कहते रहे, लेकिन साधारण बहुमत भी हासिल नहीं कर सके। इसका एकमात्र कारण यह है कि देश के लोग समझ गए हैं कि एक तरफ भाजपा है और दूसरी तरफ संविधान है। लोगों ने संविधान को चुना है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार के तहत देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ लग गया है।

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शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल देसाई ने कहा कि आपातकाल का दौर बहुत पहले गुजर चुका है और सरकार को वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल चला गया है, लेकिन आज स्थिति क्या है? किसी को भी आपातकाल याद करना पसंद नहीं है... मुझे उम्मीद है कि काले दिन वापस नहीं आएंगे।’’

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के नेता एन के प्रेमचंद्रन ने भी कहा कि इस समय 1975 के आपातकाल के बारे में बात करन ‘‘बेमानी’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह 1975 में हुआ था, 50 साल बीत चुके हैं, यह पूरी तरह से अप्रासंगिक है। हम उन चीजों के बारे में बात कर रहे हैं जो वर्तमान में हो रही हैं। इस समय 1975 के आपातकाल के बारे में बात करना महत्वहीन है।’’

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आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चन्द्रशेखर ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी सलाह माननी चाहिए।

उनका कहना था, ‘‘अच्छा होता अगर वह जो कह रहे थे वह उनके काम में झलकता। इसी संसद में 140 से अधिक सांसदों को निलंबित कर कानून पारित किए गए थे। उम्मीद है कि यह सरकार लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगी और फैसले थोपेगी नहीं।’’

पीटीआई के इनपुट के साथ

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