8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल होने पर केंद्र सरकार सालगिरह मानने में जुटी है। दूसरी ओर इस दिन सारे विपक्षी दल नोटबंदी के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार की निंदा की है। ममता बनर्जी ने नोटबंदी को राक्षसी कार्य बताया है और केंद्र सरकार पर निहित स्वार्थो के लिए काले धन को बदलकर सफेद करने के लिए नोटबंदी लागू करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है।
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ममता बनर्जी ने नोटबंदी के विरोध में अपने ट्विटर अकाउंट की तस्वीर को बदलकर काला कर दिया। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने अपने पार्टी नेताओं को नोटबंदी के खिलाफ इसकी पहली बरसी पर 'ब्लैक डे' मनाने का निर्देश दिया। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, "मैं फिर से कहती हूं नोटबंदी एक बड़ा घोटाला है। यदि जांच कराई जाए तो यह सिद्ध हो जाएगा।"
उन्होंने कहा, "नोटबंदी न तो आतंकवाद से मुकाबला कर पाया और न ही काले धन से। इससे देश के विकास में सहायता भी नहीं मिली। नोटबंदी के राक्षसी कृत्य से देश को पहले ही जीडीपी में तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य का नुकसान हो चुका है। असंगठित क्षेत्र में खास तौर से लाखों मजदूर अपनी नौकरियां खो चुके हैं। किसान भूखमरी के कगार पर हैं। नोटबंदी की वजह से 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।"
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शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “नोटबंदी के दानव ने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि गिरा दी, जबकि लाखों नौकरियां खत्म हो गईं, व्यापार बंद हो गए। जाली नोट, आतंकवाद और काला धन को छोड़कर सभी चीजों में गिरावट आ गई। नोटबंदी के कदम को उठाने के लिए काला धन, आतंकवाद और जाली नोट सिर्फ काल्पनिक कारण थे।”
केंद्र सरकार के जश्न मनाए जाने के कदम पर अपना सख्त रवैया दिखाते हुए उन्होंने लिखा, "नोटबंदी असफल रही। यह उन सभी लोगों की उम्मीदों पर विफल रही, जो देश के लिए कभी खत्म नहीं होने वाली कतारों में खड़े रहे।"
उन्होंने कहा, "अब इसकी मंशा भी संदिग्ध लगती है।" उन्होंने दो टूक कहा, "इस पर जितना कम कहा जाए, उतना ही बेहतर है।"
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वित्तमंत्री अरूण जेटली ने पिछले साल सरकार द्वारा की गई नोटबंदी का बचाव करते हुए कहा कि नोटबंदी भ्रष्टाचार को खत्म करने का एकमात्र समाधान नहीं है, लेकिन इसने आर्थिक और वित्तीय फैसलों को एक नई दिशा दी है। नोटबंदी ने एजेंडे में बदलाव किया है और यह बदला हुआ एजेंडा यह है कि हमें नकदी रहित अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ना चाहिए। निजी आयकर चुकाने वालों की संख्या बढ़ी है, डिजिटल लेनदेन में इजाफा हुआ है और आतंकवादियों का वित्त पोषण कम हुआ है।"
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