कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में शनिवार को जम्मू-कश्मीर के हालात का जायजा लेने गए सभी 11 विपक्षी नेताओं को वहां पहुंचने पर एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया। इन नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर नहीं जाने दिया गया और न ही वहां मीडिया से बात करने दी गई। इन नेताओं के एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया और जबरन वापस दिल्ली भेज दिया गया।
दिल्ली लौटने पर पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गांधी ने बताया, “मुझे जम्मू-कश्मीर के दौरे के लिए वहां के राज्यपाल द्वारा आमंत्रित किया गया था। मैंने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। हम यह जानना चाहते थे कि वहां के लोगों की क्या हालत है, लेकिन हमें हवाई अड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई। हमारे साथ मीडिया के लोगों को गुमराह किया गया और पीटा गया। यह साफ तौर पर बताता है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं।”
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विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, “हमें शहर में जाने की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन जम्मू-कश्मीर में स्थिति भयावह है। हमारे विमान में मौजूद कश्मीर के यात्रियों से हमने जो किस्से सुने, वे पत्थरों में भी आंसू ला देंगे।”
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वहीं, राहुल गांधी के श्रीनगर के दौरे पर आने के मामले पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने काफी बेतुका बयान देते हुए कहा, “अब उनकी कोई जरूरत नहीं है, उनकी जरूरत तब थी जब उनके सहयोगी संसद में बोल रहे थे। अगर वह हालात को और बिगाड़ना चाहते हैं और दिल्ली में उनके द्वारा बोले गए झूठ को दोहराना चाहते हैं, तो ये अच्छा नहीं है। मैंने उन्हें सद्भावना के तहत से आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने राजनीति करना शुरू कर दिया। इन लोगों का यह दौरा राजनीतिक कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं था। राजनीतिक पार्टियों को ऐसे समय में राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखना चाहिए।”
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वहीं, श्रीनगर एयरपोर्ट से दिल्ली लौटने पर विपक्षी नेताओं ने बडगाम के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर एयरपोर्ट पर उनको हिरासत में लिए जाने पर आपत्ति जताई है। अपने पत्र में विपक्षी नेताओं ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर की गई अपनी नजरबंदी की कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया है।
इससे पहले भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद दो बार कश्मीर जाने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन दोनों ही बार वहां के प्रशासन ने उन्हें जबरन एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया। उन्हें पहली बार श्रीनगर एयरपोर्ट से और दूसरी बार जम्मू एयरपोर्ट से वापस दिल्ली लौटा दिया गया था। आजाद के अलावा डी राजा और सीताराम येचुरी को भी श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया था।
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इस बीच श्रीनगर जाने वाले विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक मोहम्मद तारिगामी को पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। उनकी याचिका पर 26 अगस्त को सुनवाई होगी।
बता दें कि पिछले लगभग से 20 दिन से घाटी में जारी प्रतिबंधों के कारण वहां के लोगों के हालात के बारे में शेष भारत को कोई जानकारी नहीं है। घाटी में फोन, मोबाइल, इंटरनेट पर प्रतिबंध के साथ ही कर्फ्यू जैसी धारा 144 लागू है। वहां के विपक्ष के लगभग सभी नेताओं को सुरक्षाबलों ने या तो गिरफ्तार कर लिया है या नजरबंद कर रखा है। इस कारण से श्रीनगर और घाटी के दूरदराज के इलाकों की कहीं कोई खबर नहीं है। ऐसे में विपक्ष सरकार से लगातार वहां लगे प्रतिबंधों को हटाने और विपक्ष के नेताओं को वहां जाने देने की मांग कर रहा है।
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