सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी.के. सिंह के खिलाफ कथित तौर पर भारत-चीन एलएसी मुद्दे पर टिप्पणी करने के मामले में कार्रवाई करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सिंह ने कार्यालय के लिए लिए गए शपथ का उल्लंघन किया है। मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री ने कुछ किया है, तो इसपर प्रधानमंत्री को निर्णय लेना है । इस मामले में शीर्ष अदालत कोई आदेश पारित नहीं कर सकता।
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बेंच में मौजूद जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और हृषिकेश रॉय ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
शीर्ष अदालत का आदेश एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उनके हालिया बयानों के लिए सिंह को उनकी शपथ के उल्लंघन का दोषी करार देकर कार्रवाई करने की मांग की गई थी। याचिका के अनुसार, पूर्व सेना प्रमुख ने कथित तौर पर दावा किया कि भारत ने कई बार (एलएसी) का उल्लंघन किया, और चीनियों ने उनके इस बयान का फायदा उठाया और भारत को अपने कथित क्षेत्र पर अतिक्रमण करने के लिए दोषी ठहराया।
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पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा, "अगर आपको किसी मंत्री का बयान पसंद नहीं है तो आप याचिका दायर करें और उसे हटाने के लिए कहें।" वकील ने जोर देकर कहा कि सिंह ने सेना के खिलाफ बयान दिया था। पीठ ने वकील से कहा, "क्या आप एक वैज्ञानिक हैं? समाधान खोजने के लिए अपनी ऊर्जा का प्रयोग करें। अगर वह अच्छे नहीं हैं, तो प्रधानमंत्री इस पर गौर करेंगे।"
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याचिका के अनुसार, "केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की टिप्पणी कि भारत ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तुलना में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार अधिक बार उल्लंघन किया है, उसने न केवल चीन को एक दुर्लभ अवसर दिया है, बल्कि इस विषय पर भारत की लंबे समय से आधिकारिक स्थिति का खंडन किया है।"
याचिका सामाजिक कार्यकर्ता, चंद्रशेखरन रामास्वामी द्वारा दायर की गई थी, उन्होंने विभिन्न घटनाओं का हवाला दिया जहां सिंह ने विवादास्पद बयान दिए।
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