केंद्र की सत्ता में दोबारा वापसी के बाद से ही मोदी सरकार पर सार्वजनिक कंपनियों और सरकारी उपक्रमों का निजीकरण कर उदारीकरण की नीतियों को तेजी से लागू करने के आरोप लगते रहे हैं। इसी कड़ी में आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का निगमीकरण यानि कार्पोरेटाइजेशन करने के मोदी सरकार के निर्देशों से रक्षा क्षेत्र के निजी हाथों में जाने की आहट के बाद खड़ा हुआ विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब एक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने की खबर आ रही है।
खबर है कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश में सड़कों का निर्माण कार्य निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया एक तरह से शुरू कर दी है। इसके तहत पीएमओ ने एनएचएआई को एक पत्र भेजकर सुझाव दिया है कि प्राधिकरण देश में नई सड़कों का निर्माण रोक दे और पूरी हो चुकी परियोजनाओं को निजी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए उनके हाथों में सौंप दे।
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अंग्रेजी अखबार ‘द मिंट’ की खबर के अनुसार 17 अगस्त को प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव संजीव रंजन को एक पत्र लिखा है, जिसमें एनएचएआई को उसकी कार्यकुशलता में सुधार लाने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि “सड़कों के अनियोजित विस्तार की वजह से भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्यों में सरकार का बहुत धन खर्च हुआ है। सड़कों का निर्माण अब लाभ का काम नहीं रहा, जिससे निर्माण कंपनियां और निजी निवेशक कई परियोजनाओं को छोड़ रहे हैं।”
समस्या के समाधान के लिए पीएमओ की ओर से एनएचआई को दिए सुझाव में कहा गया है कि प्राधिकरण को अपनी संपत्तियों से धन अर्जित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए वह टोल टैक्स वसूली के लिए ऊंची बोली या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट का रास्ता अपना सकती है।
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इन सुझावों पर अगर अमल हुआ तो इसका मतलब है कि आगे से सड़कों के निर्माण के लिए बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) के आधार पर बोली की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जिसके बाद बीओटी में बोली जीतने वाले निजी डेवलपर सड़क निर्माण में पैसा लगाएंगे और फिर उसका चोल वसूलकर अपनी लागत और मुनाफा निकालेंगे। और इस तरह से एनएचएआई सड़कों का निर्माण पूरी तरह बंद कर सकता है और यह काम भी पूरी तरह निजी हाथों में चला जाएगा।
इससे पहले मोदी सरकार आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का निगमीकरण कर रक्षा जैसे अहम क्षेत्र का निजीकरण करने का कदम उठा चुकी है। सरकार के इस फैसले को लेकर देश भर में आर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारी हड़ताल और विरोध कर रहे हैं। यह मामला तब सामने आया जब हाल में केंद्रीय रक्षा सचिव द्वारा 15 अक्टूबर, 2019 तक आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का कार्पोरेटाइजेशन यानी निगमीकरण करने का आदेश जारी किया गया। इस आदेश के आने के फौरन बाद देश में पहली बार आर्डिनेंस फैक्ट्री के करीब 82,000 कर्मचारी और बोर्ड के हजारों कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।
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इससे पहले सरकार पर रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने के भी आरोप लगे हैं। इसके तहत इसी साल सरकार ने कुछ रूटों पर ट्रेनों का संचालन निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला लिया है। सरकार ने इसके लिए बोलियां मंगवाने का निर्णय लिया है। खास बात ये है कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही रेलवे के निजीकरण की कोशिश करते हुए इसके लिए प्रक्रिया सुझाने के लिए एक समिति का गठन किया था। लेकिन इस समिति की रिपोर्ट आने पर वह विवादों में आ गई थी और यह लागू नहीं हो पाया था।
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