झारखंड के लातेहार जिले के सासंग गांव के रहने वाले अजीज अंसारी कई सपने लिए कुछ महीने पहले तेलंगाना गए थे। तेलंगाना पहुंचने के बाद इनके सपनों को पंख भी लग गए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद अब ये फिर से अपने गांव, घर को छोड़ना नहीं चाहते। तेलंगाना में रहते हुए इनकी उम्मीदें उस वक्त टूट गईं, जब कोरोना संक्रमण के इस दौर में उन्हें दो जून भोजन के लिए परेशान होना पड़ा। अजीज शनिवार को अपने लातेहार जिला मुख्यालय पहुंच गए हैं और कुछ ही देर में अपने गांव भी पहुंच जाएंगे।
Published: 02 May 2020, 5:07 PM IST
अजीज ने कहा कि अब वो बुरे दिन को याद नहीं करना चाहते। अब चाहे जो हो जाए वह राज्य से बाहर नहीं जाना चाहते। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने गांव, घर, परिवार को छोड़कर नहीं जाना चाहता। यहां सरकार अगर रोजगार के साधन उपलब्ध करा दे, तो कोई क्यों जाए?
यह कहानी केवल अजीज की नहीं है, तेलंगाना से एक विशेष ट्रेन से सवार होकर रांची आए अधिकांश लोगों की है। तेलंगाना से रांची के हटिया स्टेशन से हाथ में गुलाब फूल और खाने का पेकेट लिए स्टेशन परिसर से निकलते एक मजदूर के वापस अपने राज्य लौटने पर खुशी का ठिकाना नहीं था। वह अपने राज्य आकर खुश है। वह वापस आने और मिली सुविधा से खुश है। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि वहां भी खाना ठीक मिल रहा था, लेकिन परिजनों की याद बहुत आती थी।
Published: 02 May 2020, 5:07 PM IST
झारखंड सरकार के आग्रह के बाद केंद्र सरकार ने मजदूरों को लाने की अनुमति दी। केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद तेलंगाना में फंसे झारखंड के 1200 से अधिक मजदूरों को पहले खेप में ट्रेन के माध्यम से झारखंड लाया गया। इस दौरान मजदूरों के खाने पीने से लेकर उसके घर तक जाने की पूरी व्यवस्था की गई। मजदूरों को उनके घरों तक भेजने के लिए सरकार ने 60 बसों की व्यवस्था की। सभी मजदूरों को बसों से उनके गृह जिला भेजा गया, जहां सभी क्वारंटाइन में रहेंगे।
रांची के हटिया स्टेशन पहुंचने पर मजदूरों का अधिकारियों ने फूलों और मास्क से स्वागत किया। जिसके बाद मजदूरों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग के बाद मजदूरों को बस से उनके गृह जिलों के लिए रवाना किया गया।
Published: 02 May 2020, 5:07 PM IST
रांची के हटिया पहुंचे हजारीबाग के अनवर ने कहा कि यहां पहुंच कर वह बहुत खुश है। उसने कहा, "मुझे विश्वास था कि केन्द्र और राज्य सरकार हमें अपने गृह प्रदेश भेजेंगी, लेकिन घर और परिवार की याद आ रही थी। वहां आवास और भोजन की व्यवस्था बहुत ही खराब थी।"
प्रवासी श्रमिकों ने ट्रेन में और यहां पहुंचने पर हटिया स्टेशन पर उनके लिए किये गये प्रबन्धों की प्रशंसा की। अपने प्रदेश लौटे मजदूरों के चेहरे भले ही मास्क से ढके हुए थे लेकिन इनकी खुशी इनकी आंखों से समझी जा सकती थी। मजदूर भले ही अब तक अपने परिवारों से नहीं मिले थे, लेकिन इनकी आंखों की चमक उनकी खुशी बता रही थी।
लातेहार के गोवा गांव के रहने वाले नागेंद्र उरांव तेलंगाना के संगारेडी में जेसीबी चलाने का काम करते थे, अब यह अपने गांव परिवारों के बीच पहुंच गए हैं। नागेंद्र ने आईएएनएस से फोन पर कहा, "वहां खाने में केवल चावल और दाल दिया जाता था। अब यहां आकर परिजनों के बीच हम खुश हैं।" उन्होंने कहा कि यहां काम तो मिल जाता है, लेकिन उतना पैसा नहीं मिलता।
Published: 02 May 2020, 5:07 PM IST
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Published: 02 May 2020, 5:07 PM IST