जो सरकार इस समय देश के हालात (आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक) हालात काबू करने में नाकाम साबित हो रही है, वही सरकार 2002 के गुजरात कांड में भी नाकाम ही साबित हुई थी। यह टिप्पणी 2002 के हुए गोधरा कांड फांसी की सजा पाने वाले 11 दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदलते वक्त गुजरात हाईकोर्ट ने की है। कोर्ट ने कहा है कि, “गोधरा कांड के बाद तब की नरेंद्र मोदी सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम साबित हुई।” इसके साथ ही कोर्ट ने रेलवे को भी कानून-व्यवस्था बिगड़ने के लिए आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने इस मामले में गोधरा कांड में मारे गए 59 लोगों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी ऐलान किया है।
कोर्ट ने इसी मामले में विशेष एसआईटी अदालत द्वारा 20 अन्य दोषियों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। फांसी की सजा पाने वाले 11 दोषियों ने फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।
7 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की S-6 बोगी में आग लगने से कई लोगों की मौत हुई थी। इस बोगी में 59 लोगों के मौजूद होने की बात कही गई थी। कहा गया कि इस बोगी में ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे कार सेवक थे। एसआईटी की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया था, जबकि 63 को बरी कर दिया था।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined