निर्भया के गुनहगार फांसी के फंदे से एक बार फिर से बच गए हैं। पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मर्डर के सभी दोषियों की कल होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सभी दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की सजा को इसलिए टाल दिया क्योंकि चारों में एक दोषी पवन की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में जब पवन कुमार गुप्ता की दया याचिका लंबित है, फांसी नहीं दी जा सकती। ये तीसरी बार है जब निर्भया के गुनहगारों की फांसी पर रोक लगी है।
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फांसी टलने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने इसे लेकर सिस्टम पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह सिस्टम की नाकामी दिखाता है। उन्होंने कहा, 'अदालत आखिर दोषियों को फांसी देने के अपने ही आदेश का पालन करने में इतना वक्त क्यों लगा रही है। फांसी का बार-बार टलना हमारे सिस्टम की नाकामी को दिखाता है। हमारा पूरा सिस्टम अपराधियों को संरक्षण देता है।’
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दिया और उसके बाद दोषी अक्षय और पवन की तरफ से लगाई गई याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया। लेकिन दोषी पवन के वकील एपी सिंह दोबारा से पटियाला हाउस कोर्ट पहुंच गए और डेथ वारंट पर रोक की मांग करने लेगे। उनका कहना था कि क्योंकि पवन ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई है। इस लिए डेथ वारंट पर रोक लगाई जानी चाहिए।
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जिस पर पटियाला हाऊस कोर्ट के जज ने पूछा कि किस नियम में लिखा है कि आप क्यूरेटिव पिटीशन से पहले दया याचिका नहीं दायर कर सकते हैं। इसका जवाब देते हुए दोषी के वकील पवन के वकील एपी सिंह जेल मेन्युअल पढ़ा। हालांकि, इस दौरान जज ने एपी सिंह को फटकार लगाई।
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पवन गुप्ता ही एक मात्र दोषी है, जिसके पास कुछ कानूनी विकल्प बचा था। इसमें क्यूरेटिव पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया। अब केवल दया याचिका का ऑप्शन बचा है। पवन के वकील एपी सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि हमने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर कर दी है।
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