नेशनल मेडिकल फोरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूक्रेन से निकाले गए मेडिकल छात्रों को युद्ध पीड़ित मानने का आग्रह किया है। पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कहा गया है, "इन विस्थापितों को मजबूरी का सामना करना पड़ा है और दोनों देशों (रूस और यूक्रेन) के बीच दुर्भाग्यपूर्ण युद्ध के परिणामस्वरूप इन विस्थापित छात्रों के लिए उपयोगी रोजगार और रहने के अवसरों का नुकसान हुआ और इस प्रकार जिनेवा सम्मेलन के संदर्भ में इन विस्थापित छात्रों को युद्ध पीड़ित माना जाना चाहिए।"
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नेशनल मेडिकल फोरम के अध्यक्ष डॉ. प्रेम अग्रवाल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "सिर्फ युद्धग्रस्त क्षेत्र से छात्रों को लाने से उन्हें मदद नहीं मिलेगी। वे युद्ध पीड़ित हैं। हमें उनकी पढ़ाई पूरी कराने के लिए उनके लिए वन टाइम स्पेशल क्लॉज बनाना होगा।"
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अग्रवाल ने कहा कि फोरम उन्हें युद्ध पीड़ित घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल करेगा। पत्र में आगे कहा गया है, "रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण, यूक्रेन के सभी शहरों में भारी तबाही हुई है और लोगों की जान चली गई है, जिससे उस देश से भारतीय मेडिकल छात्रों का पलायन हुआ है। ये छात्र युद्ध में शामिल नहीं थे लेकिन युद्ध क्षेत्र में रह रहे थे और इस प्रकार शत्रुता के अत्यधिक जोखिम में थे।"
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हालांकि, अब उन्होंने अपनी शिक्षा और उपयोगी रोजगार को पूरा करने का अवसर खो दिया है, ऐसे में फोरम ने सरकार से इन मजबूरी में प्रवासित हुए छात्रों को युद्ध पीड़ित घोषित करने का अनुरोध किया है, ताकि समुदाय उनकी तदनुसार मदद कर सके।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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