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मुजफ्फरनगर: एनपीए में पहुंचे बैंको के 700 करोड़ रुपए, 17800 किसानों की जारी हुई आरसी

जिले में 20 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो जागरूकता के अभाव में दलालों के चक्कर में आजाते हैं समय पर बैंकों को पैसा वापस नहीं कर पाते। इस स्थिति में बैंक द्वारा वसूला जाने वाले ब्याज की दर 11 फीसदी हो जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जिले के सभी 28 बैंकों के 700 करोड़ रुपए एनपीए में पहुंच गए है। इनमें सबसे ज्यादा पैसा पंजाब नेशनल बैंक का है।

दरअसल मुजफ्फरनगर में हर साल करीब दो लाख 21 हजार किसानों को खेती के लिए जरूरी सामान खरीदने के लिए बैंक चार हजार करोड़ का कर्ज देते हैं। जिनमें लगभग तीन हजार करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से दिया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए जिले के दो लाख 21 हजार किसान हर साल बैंकों से चार हजार करोड़ का लेन-देन करते हैं। समय पर बैंक का पैसा वापस करने वाले किसानों को केसीसी का बड़ा लाभ मिलता है। इसके विपरीत जो किसान बैंक से लिया हुआ पैसा समय पर जमा नहीं कर पाते उनके लिए कई दिक्कतें आ जाती हैं।

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किसानों को दिए जाने वाले किसी भी लोन पर बैंक लगभग 9 फीसदी सालाना ब्याज वसूल करते हैं। हालांकि किसान क्रेडिट कार्ड पर एक साल से पहले पैसा वापस करने पर ब्याज केवल 4 फीसदी ही रह जाता है। समय पर पैसा जमा करने पर किसानों को जो 5 फीसदी की छूट मिलती है, इसमें दो प्रतिशत आरबीआई और तीन प्रतिशत ब्याज सरकार देती है।

अगर किसान एक साल में पैसा जमा नहीं करा पाते हैं तो इस ब्याज की दर 11 प्रतिशत हो जाती है। कई बार फसल का उचित दाम न मिलने के स्थिति में किसान पैसा जमा नहीं करा पाते, जिसकी वजह से बैंकों का पैसा एनपीए में चला जाता है।

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किसान क्रेडिट कार्ड के नियम के अनुसार समय पर पैसा जमा करने पर मिलने वाले केसीसी का पैसा एक ही खाते में भेजा जाता है, जबकि जिले में कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिनमें किसानों के केसीसी के कई-कई खाते हैं। ऋण किसी बैंक से लिया है और गन्ने का भुगतान किसी दूसरे बैंक में आ रहा है। जिले में दलालों ने ऐसी व्यवस्था बना दी है कि किसान भ्रमित हो गया है। इसका बड़ा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।

हाल ही में जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें एक बड़ी बात ये सामने आई है कि समय पर पैसा जमा नहीं करने पर जिले में बैंकों ने 17 हजार 800 किसानों की आरसी जारी की है। इन किसानों से बैंकों का 260 करोड़ वसूला जाना है।

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जागरूकता की कमी से भ्रमित हो रहे किसान

मुजफ्फरनगर के पंजाब नेशनल बैंक मैनेजर अमित बुंदेला ने बताया, ‘80 फीसदी किसान समय पर पैसा जमा कराकर केंद्र सरकार की चार प्रतिशत ब्याज की योजना का लाभ हासिल कर रहे हैं। जबकि बीस प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो जागरूकता के अभाव में दलालों के चक्कर में आजाते हैं और अपना पैसा समय पर जमा नहीं करा पाते। जिससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान होता है। किसानों को जागरूक करने के लिए हम जिला मुख्यालय से लेकर गांव तक अभियान चलाएंगे। हमारा उद्देश्य किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाना है। केसीसी के डबल खाते में कहीं-कहीं बैंक अफसरों की मिली भगत भी सामने आती है’

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मजबूरी बन जाता है पैसा जमा न कराना

बड़े स्तर पर किसानों की आरसी जारी होने के मामले में भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि आर्थिक रूप से फंसने की स्थिति में किसान बैंक से ऋण लेता है। केसीसी के डबल खातों में दलालों का खेल है। किसान मजबूरी और जानकारी के आभाव में इनके चंगुल में फंस जाता है और उससे ऋण के 25 प्रतिशत तक की उगाही दलाल कर लेते हैं। बाद में नौबत ये आती है कि किसान की जमीन नीलामी के कगार पर पहुंच जाती है।

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