कोरोना संकट के बीच चिंताजनक खबर! ज्यादातर गरीब महिलाओं को नहीं मिल पाएगा डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का लाभ: रिपोर्ट
भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2020 तक महिलाओं के पास 20.5 करोड़ PMJDY खाते हैं। 32.6 करोड़ से अधिक महिलाएं गरीबी रेखा के नीचे रहती हैं और अगर यह मान लिया जाए कि सभी महिला-स्वामित्व वाले PMJDY खाते गरीब महिलाओं के हैं, तो एक तिहाई से ज्यादा गरीब महिलाएं इस लाभ से वंचित रह जाएंगी।
By रोहिणी पांडे, सिमोन शेनर, चैरिटी ट्रोएर मूर और एलीन स्टेसी
फोटो: सोशल मीडिया
भारत सरकार ने एक आपातकालीन COVID-19 राहत कैश ट्रांसफर कार्यक्रम शुरू किया है> जिसमें PMJDY खातों के माध्यम से महिलाओं को अप्रैल-जून 2020 के दौरान 500 रुपये प्रति माह दिए जायेंगे। बता दें, PMJDY एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में अगस्त 2014 में शुरू हुआ था जिसका उद्देश्य था हर उस इंसान को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना जिसके पास बैंक का खता नहीं है।|
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हमने PMJDY खातों के स्वामित्व की सरकारी रिपोर्ट और फाइनेंशियल इन्क्लूशन इनसाइट्स (FII) सर्वेक्षण के डेटा के साथ में देखकर यह पाया है कि खाद्य असुरक्षित गरीब महिलाएं कितना अंश जन धन योजना-आधारित कैश ट्रांसफर का लाभ नहीं ले पाएंगी।
कैश ट्रांसफर की कवरेज में कमी को खाद्य वितरण द्वारा पूरा किये जाने की संभावना का आंकलन किया है। जिसके बाद हमने यह पाया है की आधे से अधिक गरीब महिलाओं की इस कैश ट्रांसफर कार्यक्रम से बाहर छूट जाने की संभावना है। इसके अलावा, पांच गरीब महिलाओं में से एक उन घरों से हैं। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, जो की केंद्रीय खाद्य राशन प्रणाली तक पहुंचने का साधन है।
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कितनी गरीब महिलाओं के पास PMJDY खाते नहीं हैं ?
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गरीब परिवार की पहचान करने के लिए, FII सर्वेक्षण ग्रामीण फाउंडेशन पद्धति का उपयोग करता है, जिसमें घर की विशेषताओं और संपत्ति के स्वामित्व के बारे में 10 सवालों के जवाब को अंक देकर, उनक गरीबी रेखा से नीचे रह जाने की संभावना का अनुमान लगाया जाता है। तालिका 1 से पता चलता है कि FII के अनुमान अनुसार 69% प्रौढ़ महलाएं प्रति दिन 2.50 डॉलर PPP से कम पर रहती है। यह गरीबी का अनुमान अन्य FII अरक्षितता संकेतकों के साथ ताल मेल में है। उदाहरण के लिए, गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं में, 86% का कहना है कि किसी मेडिकल आपातकालीन परिस्थिति में उनके लिए एक महीने के भीतर 6,000 रुपए एकत्र करना बहुत मुश्किल या थोड़ा मुश्किल होगा।
2018 वर्ल्ड बैंक के 15 से 64 वर्षीय महिलाओं और 65 तथा उससे अधिक उम्र की महिलाओं की आबादी के अनुमान को जोड़कर यह पता लगता है कि 2018 में 15 वर्ष से अधिक लगभग 47.5 करोड़ महिलाएं भारत में थीं। यह आज की प्रौढ़ महिलाओं की संख्या का एक लगभग अनुमान प्रदान करता है, क्योंकि इस जनसंख्या की उम्र 2 साल बढ़ चुकी है।
तालिका 2 की पहली पंक्ति में FII द्वारा अनुमानित गरीब महिलाओं के हिस्से को जनसंख्या के अनुमान से गुणा किया गया है और यह दिखाया गया है कि 32.6 करोड़ महिलाएं FII की 2.50 डॉलर PPP प्रतिदिन की गरीबी रेखा से नीचे रहती हैं।
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भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2020 तक महिलाओं के पास 20.5 करोड़ PMJDY खाते हैं। 32.6 करोड़ से अधिक महिलाएं गरीबी रेखा के नीचे रहती हैं और अगर यह मान लिया जाए कि सभी महिला-स्वामित्व वाले PMJDY खाते गरीब महिलाओं के हैं, तो इसका मतलब होगा कि एक तिहाई से ज्यादा गरीब महिलाएं इस लाभ से वंचित रह जाएंगी।
यह स्वाभाविक है की सभी PMJDY खाते गरीब के नाम में नहीं है। उन्हें कैसे आवंटित किया गया है? FII आधारित अनुमान बताते हैं कि सभी PMJDY खातों में से गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 75% है। इसका मतलब है कि 20 करोड़ PMJDY खातों में से 15 करोड़ गरीब महिलाओं के हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं की संख्या 32.6 करोड़ से अधिक है, इसका मतलब आधे से अधिक छूट गयी है।
इस प्रकार, PMJDY से जुड़े कैश ट्रांसफर के माध्यम से राहत प्रदान करने के प्रयास के बावजूद कई गरीब कमजोर बने रहेंगे। FII के उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या उनका बैंक खाता है और यदि हां, तो क्या यह PMJDY खाता है। 78% गरीब महिला उत्तरदाताओं के पास एक बैंक खाता है, जबकि सिर्फ 23% गरीब महिलाओं का कहना है कि उनके पास एक PMJDY खाता है (तालिका 1) PMJDY योजना के तहत न आने वाली महिलाओं के खातों को भी कैश ट्रांसफर का लाभ देने से समावेशन में काफी वृद्धि होगी।
जिन लोगों के पास खाता है, उनमें से कुछ के लिए खाते तक पहुंचना अभी भी एक चुनौती पेश कर सकती है। FII की रिपोर्ट के अनुसार, 26 प्रतिशत गरीब महलाएं अपनी निकटतम बैंकिंग सेवा से 5 Km से अधक दूर रहती हैं। FII की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई महिलाएं नहीं जानती है कि उनके खाते PMJDY खाते हैं, जिसके कारण खाते का इतेमाल और उससे पैसे निकालना कठिन साबित हो सकता है।
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खाद्य वितरण प्रणालियां यह कमी नहीं भर पाएंगी
नकद (रुपय) का एक प्रमुख विकल्प भोजन है, जो की भारत के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) द्वारा राशन के रूप में दिया जाता है । FII सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से पूछा जाता है कि उनके घर में राशन कार्ड है या नहीं : 21% गरीब महिलाओं का कहना है कि उनके पास नहीं है। ऊपर उल्लिखित जनसंख्या की गणना का उपयोग करते हुए, यह कहा जा सकता है कि लगभग 7 करोड़ गरीब महिलाओं के पास राशन कार्ड की कमी है और वे PDS के लाभ नहीं ले पाती हैं।
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यूनिवर्सल PDS और सामुदायिक रसोई का महत्व
कुछ राज्य, जैसे तमिलनाडु, राशन के लिए सार्वभौमिक अनुमति दान करते हैं। सबसे असुरक्षित लोगों तक पहुंचने के लए PDS दुकानों और सामुदायिक रसोइयों जैसे सिस्टम द्वारा राशन का सार्वभौमिक वितरण सभी राज्यों में बढ़ाना चाहिए। जिसके लिए अतिरिक्त अनाज निकालना चाहिए। राहत कार्यों में लगे सभी गैर सरकारी संगठनों को कम लागत वाले अनाज का वितरण इस दिशा में एक सराहनीय कदम है।
COVID-19 स्वास्थ्य और आर्थिक अवस्था के लिए अभूतपूर्व खतरा पैदा कर रहा है: भारत को खाद्य असुरक्षा के खिलाफ अपनी तैयारी का इस्तेमाल करना चाहिए और भोजन वितरण को प्राथमिकता देकर अपने उन नागरिकों की सुरक्षा करनी चाहिए जो स्वास्थ और कल्याण की दृष्टि से सबसे असुरक्षित हैं।