ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड (एआईएमपीबी) ने शनिवार को कहा कि अगर मुसलमान विधेयक में संशोधन नहीं चाहते हैं तो इसे दरकिनार कर देना चाहिए।
एआईएमपीबी के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलूर्रहीम मुजद्दीदी ने बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "महज 13 दिन में 3.66 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों ने ईमेल के जरिए वक्फ संशोधन विधेयक पर अपना विरोध जताया है। जब मुसलमान इस विधेयक को नहीं चाहते हैं तो सरकार को इसे दरकिनार कर देना चाहिए।"
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उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने इस मुद्दे पर जनता की राय मांगी थी। मुजद्दिदी ने कहा, "इससे पहले वक्फ बोर्ड के लिए लाए गए सभी संशोधनों का उद्देश्य इसे मजबूत करना था। हम जानते हैं कि मौजूदा विधेयक वक्फ बोर्ड को कमजोर करेगा।"
यही वजह है कि एआईएमपीबी इन संशोधनों को स्वीकार नहीं कर रहा है। वे यह भी तय करेंगे कि इस मामले को कानूनी रूप से कैसे निपटाया जाए। उन्होंने कहा, "हम आग्रह करते हैं कि इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाए और इस बात पर विचार किया जाए कि मुसलमान क्या चाहते हैं।"
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उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का 29वां सम्मेलन 23-24 नवंबर को बेंगलुरु में होगा, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि चर्चा का एक मुख्य विषय वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक होगा।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शनिवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वक्फ भूमि के मुद्दे पर किसानों को भेजे गए सभी नोटिस तुरंत वापस ले लें। किसानों को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह निर्देश दिया।
बता दें कि कर्नाटक बीजेपी ने 4 नवंबर को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंत्री जमीर को तत्काल हटाने और वक्फ अदालतों को रोकने की मांग की है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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