भारतीय सेना के 150 से भी अधिक पूर्व अधिकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा सेना का राजनीतिकरण किये जाने को लेकर नाराजगी जताते हुए इसके खिलाफ देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक चिठ्ठी लिखी है। जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुख सहित 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस चिट्ठी पर अपने हस्ताक्षर किये हैं।
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इस चिट्ठी में सैन्य अधिकारियों ने शिकायत की है कि देश के जवान सरहद पर अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मन से लड़ते हैं और ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे सेना के ऑपरेशन का श्रेय देश के सत्ताधारी दल ले रहे है। चिट्ठी में अधिकारियों ने यह भी कहा है कि भारतीय सेना को मोदी जी की सेना कह कर संबोधित करना किसी भी हाल में उचित नहीं है। 11 अप्रैल को इस चिट्ठी को सार्वजनिक किया गया था। जिसमें सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति से राजनीतिक दलों द्वारा सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की है।
दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र के लातूर में अपनी चुनावी रैली में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मतदान करने जा रहे मतदाताओं से कहा था कि “वे अपना वोट उन बहादुर लोगों को समर्पित करें, जिन्होंने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले को अंजाम दिया।”
उधर पीएम मोदी के इस बयान पर चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव अधिकारियों से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है। चुनाव आयोग अधिकारियों के मुताबिक मतदाताओं से बालाकोट हवाई हमले के नाम पर अपना वोट डालने की अपील करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयोग के उन आदेशों का उल्लंघन किया है, जिसमें उसने सभी राजनितिक दलों से अपने प्रचार अभियान में सशस्त्र बलों के नाम का इस्तेमाल करने से मना किया था।
कांग्रेस पार्टी ने इस चिट्ठी पर प्रतिक्रया देते हुए मोदी सरकार पर निशान साधा है। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, “ मोदी भले ही वोट के लिए देश के जवानों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन ये बात बिलकुल साफ हो गयी है कि भारतीय सेना बीजेपी के साथ नहीं बल्कि देश के साथ खड़ी है।”
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