संसद का मॉनसून सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले विपक्ष की संयुक्त रणनीति की जानकारी देते हुए कांग्रेस ने कहा कि वह मोदी सरकार के खिलाफ संसद के आगामी सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के इस फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी दी। कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सोमवार की शाम संसद में विपक्षी दलों की बैठक में सर्वसम्मति से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया गया। खड़गे ने कहा, “बैठक में मौजूद सभी 12 विपक्षी पार्टियों ने संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया। बैठक में भाग नहीं ले पाने वाले 4 विपक्षी दलों से भी इस मुद्दे पर संपर्क किया जाएगा।”
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मॉनसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का विचार सर्वप्रथम टीडीपी द्वारा आगे रखा गया। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के मोदी सरकार के फैसले से नाराज टीडीपी से गठबंधन तोड़ते हुए एनडीए से हटने का ऐलान किया और फिर बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। हालांकि, संसद में लगातार जारी गतिरोध की वजह से टीडीपी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं हो सका था।
विपक्षी दलों को उम्मीद है कि इस बार सभापति को इस प्रस्ताव को स्वीकार करना पड़ेगा, क्योंकि स्थिति पहले बदल चुकी है। विपक्षी दलों के द्वारा अंतिम रूप से तय किये गए 11 साझा मुद्दों का जिक्र करते हुए खड़गे ने स्पष्ट किया कि विपक्षी पार्टियां संसद के कामकाज में सरकार की सहायता करना चाहती हैं, लेकिन यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष को विश्वास में ले।
खड़गे ने कहा कि हम जन कल्याण के मुद्दों को उठाना चाहते हैं, लेकिन मोदी सरकार सुनना नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र में विपक्षी दलों द्वारा मॉब लिंचिंग, महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और विदेश नीति पर सरकार की विफलता जैसे मुद्दों को उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद जिला सहकारिता बैंक घोटाले के मुद्दे को भी उठाया जाएगा, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जिसके निदेशक हैं।
खड़गे ने आगे कहा, “नोटबंदी की वजह से हुई बर्बादी के मुद्दे को भी विपक्षी दल उठाएंगे। कैसे इतनी बड़ी रकम एक सहकारिता बैंक में जमा की गई, इसे समझने के लिए घोटाले के मुद्दे को भी हम उठाएंगे।” उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के बाद अहमदाबाद जिला सहकारिता बैंक में सबसे ज्यादा संख्या में पुराने नोट बदले गए थे। पीएम द्वारा की गई नोटबंदी की घोषणा के बाद इस बैंक में 745.59 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा किये गए थे।
राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा, सत्ताधारी पार्टी की सदन को चलाने की कोई इच्छा नहीं थी। हमारा सामना करने की इस सरकार की हिम्मत ही नहीं है। उनके पास हमारे सवालों के जवाब नहीं हैं इसीलिए इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां संसद में गतिरोध पैदा करती हैं।
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