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‘4 पी ’ की जुमलेबाज़ी के साथ अब अफसरशाहों और वकीलों के सहारे चलेगी मोदी सरकार!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब बीजेपी और सहयोगी दलों के खाटी नेताओं के मुकाबले अफसरशाहों, वकीलों, डॉक्टरों और लेखकों-पत्रकारों पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं।

फोटो : Getty Images
फोटो : Getty Images 

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले के (संभवत: ) आखिरी मंत्रिमंडलीय विस्तार और फेरबदल को लेकर जिन नामों की करीब-करीब कंफर्म बताया जा रहा है उनमें जमीनी स्तर पर काम करने वाले इक्का-दुक्का नामों को छोड़कर ज्यादातर अफसर ही नजर आ रहे हैं। इस बीच जुमलेबाज़ी का एक नया अवतार सामने आया है जिसे मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार का आधार बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी न्यू इंडिया के विज़न को मुर्त रूप देने के लिए फोर पी (4 Ps) का फार्मूला अपना रहे हैं। ये हैं: पैशन, प्राफिशियंसी, प्रोफेशनल एक्यूमेन और पॉलिटिकल एक्यूमेन।

नए मंत्रियों को रविवार सुबह 10.30 बजे शपथ दिलायी जाएगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से किए गए एक ट्वीट के जरिए शपथ समारोह की पुष्टी की गयी है।

Published: 03 Sep 2017, 12:19 AM IST

एजेंसियों की खबरों के मुताबिक जिन नौ मंत्रियों को सरकार में शामिल किया जा रहा है, उनमें पूर्व आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के अलावा डॉक्टर और वकील भी शामिल हैं। इससे पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल में भी पत्रकारों, लेखकों, वकीलों और डॉक्टरों को वरीयता दी गयी थी।

जिन नामों को लेकर चर्चा रही और जिनके नाम अब तय माने जा रहे हैं उनमें बिहार से अश्विनी कुमार चौबे और आर के सिंह, उत्तर प्रदेश से शिवप्रताप शुक्ला और सत्यपाल सिंह, मध्य प्रदेश से वीरेंद्र कुमार, कर्नाटर से अनंत कुमार हेगड़े, राजस्थान से गजेंद्र सिंह शेखावत, केरल से अलफोन्स कन्नाथनम और पूर्व डिप्लोमैट हरदीप सिंह पुरी के नाम शामिल हैं। यानी इनमें दो पूर्व आईएएस, एक आईपीएस और एक आईएफएस अफसर शामिल हैं।

Published: 03 Sep 2017, 12:19 AM IST

सबसे बड़ी बात ये है कि इस सूची में घर वापसी करने वाले जेडीयू, लोकसभा चुनाव से साथ रहे शिवसेना और तमिलनाडु में मोदी से पींगे बढ़ा रहे एआईएडीएमके का कोई नाम शामिल नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि इस दौरान चर्चा ये भी रही कि मोदी-शाह की जोड़ी ने इस सूची में कुछ और नाम जोड़े थे लेकिन आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की नाकामियों से खफा संघ ने इस सूची को लेकर कोई पेंच फंसा दिया था। इस पेंच को सुलझान के लिए मोदी ने नितिन गडकरी को सम्मन किया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार और संघ के बीच जब भी कोई मसला फंसता है तो नितिन गडकरी ही संकटमोचक बनकर सामने आते रहे हैं।

इस विस्तार और फेरबदल से पहले मोदी सरकार के 6 मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया गया। इनमें राजीव प्रताप रूडी, महेंद्रनाथ पांडे, कलराज मिश्र, फग्गन सिंह कुलस्ते, संजीव कुमार बालियान और बंडारू दत्तात्रेय शामिल हैं। चर्चा तो उमा भारती के इस्तीफे की भी थी, लेकिन उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि गुरुवार को उन्होंने ट्वीट से इस्तीफे की खबरों को गलत बताया था।

उधर बिहार में एनडीए के साथ घर वापसी करने वाले जेडीयू को इस मंत्रिमंडलीय विस्तार और फेरबदल का औपचारिक न्योता भी शनिवार देर शाम तक नहीं भेजा गया था।

Published: 03 Sep 2017, 12:19 AM IST

उधर शिवसेना भी नाराज ही नजर आ रही है। इससे पहले महाराष्ट्र में एनडीए में दरार भी पड़ चुकी है। किसानों के हितों के लिए काम करने वाले राजनीतिक मोर्चे स्वाभिमानी पक्ष ने एनडीए से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है।

यह भी पढ़े : नए दोस्तों की खुशी और चुनावों के लिए कैबिनेट में फेरबदल

Published: 03 Sep 2017, 12:19 AM IST

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Published: 03 Sep 2017, 12:19 AM IST

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