प्रधानमंत्री ने फिर से अपने और अपनी पार्टी के ऊपर लोगों को परिहास करने का मौका दे दिया। नई घोषणाओं और विश्व स्तरीय इमारतों और संस्थानों का उद्घाटन करने का उनका शौक अब उनकी अपनी ही पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया। हुआ यूं कि उन्होंने मंगलवार को दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की इमारत का नए सिरे से उद्घाटन कर दिया जो हकीकत में 7 साल पहले ही यूपीए सरकार के कार्यकाल में शुरु हो चुका था।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर अपने भाषण में आजादी के बाद भारतीय विरासत से मुंह मोड़ लेने के लिए कांग्रेस पर हमले भी किए और चेतावनी भी दी कि, ‘जो देश अपनी विरासत को भूल जाते हैं वे अपनी पहचान खो देते हैं।‘
पीएमओ के एक ट्वीट में बहुत गर्व के साथ एआईआईए को 'आयुर्वेद का पहला अखिल भारतीय संस्थान' बताया गया है।
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लेकिन, रिकॉर्ड बताते हैं कि एआईआईए का उद्घाटन 2010 में तत्कालीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री एस गांधीसेल्वन ने किया था। गांधीसेल्वन डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कझगम) के नेता हैं, और मई 2009 से मार्च 2013 तक यूपीए सरकार में राज्य मंत्री थे।
प्रधानमंत्री ने एआईआईए का उद्घाटन फिर से क्यों किया? यह पूछने पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बिजय सोनकर शास्त्री ने कहा, "आप समझ सकते हैं कि यूपीए ने किस तरह से काम किया था कि हमें फिर से इसका उद्घाटन करना पड़ा।" उनके द्वारा शब्दों का यह खेल अपने आप में इस तथ्य को स्वीकार करना है कि वास्तव में यह अस्पताल सात साल पहले खोला गया था।
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एआईआईए की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, एम्स की तरह आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान की स्थापना के विचार को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ही आगे बढ़ाया था।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 26 अक्टूबर 2010 को इस बारे में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य मंत्री ने ओपीडी सेवाओं का उद्घाटन किया। गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेदिक उपचार की आवश्यकता पर जोर देते हुए मंत्री को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि ‘आयुर्वेद सभी के समग्र कल्याण के लिए सुरक्षित और प्रभावी दृष्टिकोण उपलब्ध करा सकता है।‘
दिल्ली के एक पत्रकार प्रियभांशु रंजन ने समाचार वेबसाइट मीडिया विजिल के साथ अपना अनुभव साझा करते हुए दावा किया कि पिछले सात सालों से मरीज एआईआईए में इलाज कराने आ रहे हैं। उन्होंने लिखा, ‘मुझे एआईआईए से अपनी मां के लिए मुफ्त में दवा मिली है।‘
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इस बीच, सोशल मीडिया में बीजेपी समर्थक मंगलवार की सुबह से ही आयुर्वेद और भारतीय "संस्कृति और विरासत" पर पोस्ट डाल रहे थे। लेकिन जब इस तथ्य को सामने लाया गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। उद्घाटन के बाद मोदी ने कहा, ‘हम लंबे समय से अपनी विरासत को भूले हुए हैं..... लेकिन अब हम इसे फिर से याद करना शुरू कर चुके हैं।‘ उन्होंने आगे कहा, "हमारे सैनिकों के लिए आयुर्वेद और योग प्रभावी हो सकते हैं।‘
स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने अपने फेसबुक पोस्ट में बीजेपी और मीडिया पर भी उपहास किया। उन्होंने लिखा, ‘मीडिया और सरकार ने साथ मिलकर लोगों को एक बार फिर से धोखा दिया है। मोदी ने जिस एआईआईए के उद्घाटन का फीता काटा है, उसका उद्घाटन यूपीए-2 के समय में हो चुका है। अखबारों ने एआईआईए की वेबसाइट पर जाने की भी जहमत नहीं उठाई।‘
यह ध्यान देने वाली बात है कि बीजेपी की एक प्रमुख सहयोगी शिवसेना ने भी मई के महीने में यूपीए के मंत्रियों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का उद्घाटन और नाम बदलने के लिए मोदी सरकार पर आरोप लगाया था। सामना में छपे एक संक्षिप्त संपादकीय में लिखा गया था, ‘कुछ महत्वपूर्ण और बड़ी परियोजनाएं पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई थीं और उनका सिर्फ उद्घाटन किया जा रहा है और नाम बदलने पर जोर दिया जा रहा है।‘
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