लगातार बढ़ती मॉब लींचिंग की घटनाओं से केंद्र की मोदी सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। केंद्र सरकार ने इस तरह की घटनाओं को राज्यों की कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताते हुए संसद में कहा कि मॉब लिंचिंग को लेकर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का डाटा सही नहीं है।
देश में लगातार बढ़ती मॉब लींचिंग की घटनाओं पर रोकथाम के लिए एक कड़ा कानून बनाने की बहस के बीच बुधवार को राज्यसभा में सांसद ऋतब्रत बैनर्जी ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा, “क्या यह तथ्य है कि पिछले दो वर्षों में देश में घृणा अपराध बढ़े हैं? अगर ऐसा है तो राज्यवार इसका ब्यौरा क्या है और सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?”
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ऋतब्रत बनर्जी के इस सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सीधे तौर पर मॉब लिंचिंग की घटनाओं के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने अपने जवाब में कहा, “संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत कानून और व्यवस्था राज्यो की जिम्मेदारी है। राज्य सरकारें अपने यहां होने वाले अपराधों की रोकथाम, जांच और अपराधियों पर मामला चलाने के लिए जिम्मेदार हैं।
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मॉब लिंचिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि एनसीआरबी का डाटा सही नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) किसी भी अपराध को ’हेट क्राइम’ के रूप में परिभाषित नहीं करता और इसलिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) हेड क्राइम के नाम पर कोई डाटा नहीं तैयार करता है।
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गौरतलब है कि देश में मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से मॉब लींचिंग की घटनाओं में तेजी देखने को मिली है। हाल ही में 2 जुलाई को बिहार के वैशाली जिले में कथित चोरी के शक में भीड़ ने एक व्यक्ति को जमकर पीटा था। इससे पहले 18 जून को झारखंड में तबरेज अंसारी नाम के एक मुस्लिम शख्स को बेरहमी से पीटकर जय श्रीराम बोलने के लिए मजबूर किया गया, जिससे बाद में उसकी मौत हो गई।
लगातार बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर कई वर्ग इसे रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार लगातार इससे इनकार करती रही है।
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