नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक ऐप को ‘भीम’ नाम दिया तो लोगों को यह भ्रम हो गया कि इस ऐप का नामकरण संस्कार मोदी सरकार ने डॉ भीम राव अंबेडकर के नाम से किया है। लेकिन यह भीम केवल भ्रम पैदा करने के लिए है। देवनागरी में लिखे इस भीम के अक्षर अंग्रेजी के हैं। ये अक्षर बीएचआईएम है और इन अक्षरों का पुरा नाम भारत इंटरफेस फॉर मनी है। लेकिन जब मोदी सरकार के लोगों को भाषण देना होता है तो वे इस बीएचआईएम को मिलाकर पढ़ देते हैं और वह भीम बन जाता है। ताकि दलित वोट बैंक में यह भ्रम हो जाए कि यह डॉ भीम राव अंबेडकर के प्रति उनकी सरकार के प्यार की निशानी है।
Published: 17 May 2019, 7:00 PM IST
दरअसल मोदी सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में अपने वोट बैंक के हिसाब से हिंदी का इस्तेमाल किया है। मोदी सरकार में हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि के इस्तेमाल की रणनीति बीजेपी की राजनीति के साथ कदम ताल करती दिखाई देती है।
26 मई 2014 को प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहला अभियान ‘डिजिटल इंडिया’ के नाम से शुरु किया। अंग्रेजी नाम से भारत के ग्रामीण इलाकों को इंटरनेट की तकनीक से जोड़ने के इस अभियान की शुरुआत के बाद 28 अगस्त को ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ से देश के आम नागरिकों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण के कार्यक्रम की शुरूआत की गई। कार्यक्रम के पहले ही दिन बैंकों में 1 करोड़ पचास लाख नये खाते खुलने का दावा किया गया।
इसके बाद मोदी सरकार ने 24 सितंबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ नाम से देशव्यापी कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद ‘मेक इन इंडिया’ और फिर उसके बाद ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत की गई। इस तरह हिंदी और अंग्रेजी में सरकार के कार्यक्रमों, अभियानों और योजनाओं के नाम रखे गए।
Published: 17 May 2019, 7:00 PM IST
इस तरह के नामकरण के पीछे एक स्पष्ट सोच यह दिखाई देती है कि जहां आम लोगों को लुभाने की जरूरत महसूस की गई उन कार्यक्रमों और अभियानों के नाम हिंदी में रख दिए गए। लेकिन तकनीक और आर्थिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के नाम अंग्रेजी में ही रखे गए। मोदी सरकार और बीजेपी के इस फार्मूले को इस सरकार के निम्न कार्यक्रमों, अभियानों और योजनाओं में भी देखा जा सकता है।
अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, गरीब कल्याण योजना, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, सुकन्या समृद्धि योजना आदि।
भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक सामाजिक आधार के अनुसार एक तरफ संस्कृतनिष्ठ हिंदी का इस्तेमाल करने पर जोर देती है और दूसरी तरफ आर्थिक क्षेत्र के लिए अंग्रेजी पर जोर देती है। लेकिन मोदी सरकार में कार्यक्रमों, योजनाओं और संस्थाओं के नामकरण के लिए एक नया राजनीतिक फार्मूला तैयार कर लिया गया।
Published: 17 May 2019, 7:00 PM IST
मोदी सरकार ने अपने राजनीतिक स्वभाव के मुताबिक यह फार्मूला तैयार किया कि सरकार कार्यक्रमों, योजनाओं, अभियानों और संस्थाओं का नामकरण तो अंग्रेजी में ही करे, लेकिन उसका अंग्रेजी में नामकरण इस तरह से किया जाना चाहिए कि उसका संक्षिप्त नाम हिंदी में बन जाए।
नामकरण की इस नीति के सामने आने के बाद मोदी सरकार ने योजनाओं, कार्यक्रमों के नाम हिंदी में रखने की राजनीतिक तकलीफ से अपने को लगभग आजाद महसूस किया। मोदी सरकार ने नये फार्मूले के आधार पर जो नामकरण किया है, उसकी सूची पर एक नजर डाली जा सकती है।
Published: 17 May 2019, 7:00 PM IST
अंग्रेजी नामकरण के संक्षिप्तिकरण का चलन भारत में तेजी से बढ़ा है। मसलन वीआईपी। यानी वेरी इंपोर्टेंट परसन। दूसरा टीना फैक्टर। इसका पूरा वाक्य ‘देयर इज नो अल्टरनेटिव’ होता है। स्वंय नरेंद्र मोदी के नाम के संक्षिप्त नामों को लोकप्रिय बनाया गया।
हालांकि इस तरह हर भाषा में नामों के संक्षिप्तिकरण की संस्कृति दिखाई देती है। लेकिन मोदी सरकार में यह एक नई भाषायी संस्कृति ने अपनी पैठ बनाई है जिसमें नामकरण तो अंग्रेजी में किया जाता है लेकिन उसे इस तरह से तैयार किया जाता है ताकि उससे हिंदी में दिखने वाला एक ऐसा शब्द तैयार हो जो सरकार की राजनीतिक जरूरतों के अनुकूल हो।
मसलन अमृत योजना का उदाहरण लिया जा सकता है। अमृत योजना एक साथ तीन काम करती है। शहरों के लिए बनाई गई यह योजना एक तो अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से है और वह अंग्रेजी में है। यानी शहरी लोगों की भाषा में पार्टी के नेता के नाम पर और उसकी संस्कृतनिष्ठ राजनीति को एक साथ पूरा करने वाला यह नाम लगता है। ‘अमृत’ नाम की एक दूसरी योजना का असल नाम अफॉर्डेबल मेडिसिन एंड रिलायवल इम्प्लांट्स फॉर ट्रीटमेंट है।
इस तरह कुसुम, पहल, उदय, स्वयं, संकल्प, प्रगति, सेहत, उस्ताद, सम्पदा और हृदय सब नाम अंग्रेजी के हैं। ये सभी अंग्रेजी के पूरे नाम के संक्षिप्त नाम हैं जो कि देवनागरी में लिखने की वजह से हिंदी के शब्द होने का भ्रम पैदा करते हैं। अंग्रेजी के नाम के पहले अक्षर को देवनागरी में लिखने से हिंदी का शब्द बनाने की कला में मोदी सरकार ने महारथ हासिल की है।
Published: 17 May 2019, 7:00 PM IST
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Published: 17 May 2019, 7:00 PM IST