कांग्रेस ने बुधवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों और रक्षा खरीद प्रक्रिया के नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए 45 हजार करोड़ रुपये की पनडुब्बी खरीद परियोजना का ठेका पीएम मोदी के करीबी गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी डिफेंस को देने की तैयारी में है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से इस आरोप से संबंधित कई दस्तावेज साझा करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने शून्य अनुभव वाली अडाणी की कंपनी को ठेके की बोली में शामिल करने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया- 2016 (डीपीपी) को रोक दिया है। कांग्रेस मीडिया सेल प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार और पीएमओ ने भारतीय नौसेना द्वारा स्थापित अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दिए गए सुझावों को खारिज किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस सौदे को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
Published: 15 Jan 2020, 9:16 PM IST
रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्रालय के माध्यम से सरकार नौसेना को अडाणी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) के संयुक्त उपक्रम को परियोजना का ठेका देने के लिए दबाव बना रही है। इस मामले पर शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय को विचार करना है। उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए पिछले साल अप्रैल में अभिरुचि पत्र आमंत्रित किए गए थे।
बता दें कि इस ठेके के तहत छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है, जिनमें पेट्रोल और डीजल दोनों पर चलने वाली पनडुब्बियां शामिल हैं। इस परियोजना की अनुमानित लागत 45 हजार करोड़ रुपये है। सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर अपने मित्र पूंजपतियों को फायदा पहुचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ठेके के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराने की आखिरी तारीख 11 सितंबर 2019 थी, जबकि अडामी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड का संयुक्त उपक्रम 28 सितंबर तक अस्तित्व में आया ही नहीं था।
Published: 15 Jan 2020, 9:16 PM IST
रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने इस परियोजना के लिए योग्य नहीं पाए जाने के कारण अडाणी की बोली को खारिज करते हुए बाकी प्राप्त निविदाओं में से सिर्फ मजगांव डॉक लिमिटेड और एलएंडटी की निविदा को वैध पाते हुए रक्षा मंत्रालय से इनके नामों पर विचार करने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने इसमें अड़ंगा लगाते हुए अधिकार प्राप्त समिति को नजरअंदाज करके अडाणी की कंपनी को पिछले दरवाजे से बोली में भाग लेने की अनुमति दे दी। उन्होंने बताया कि इस सौदे में भाग लेने वाली जो तीन कंपनियां हैं, लारसन एंड टूब्रो लिमिटेड, मजगांव डॉकशिप बिल्डर्स लिमिटेड और रिलायंस नेवल, उनके पास अपना शिपयार्ड है, लेकिन अडाणी डिफेंस के पास अपना कोई शिपयार्ड भी नहीं है।
Published: 15 Jan 2020, 9:16 PM IST
कांग्रेस की तरफ से रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार से इन सवालों के जवाब मांगे हैं:
जब रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 का पालन अनिवार्य है, तो सरकार ने नियमों का उल्लंघन क्यों किया?
निविदा के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख तक अडाणी डिफेंस या एचएसएल ने किसी विशेष प्रयोजन वाहन का निर्माण नहीं किया था, जो इस तरह की बोली के लिए अनिवार्य है। ऐसे में आखिर क्यों रक्षा मंत्रालय ने इसकी गहन जांच नहीं की?
Published: 15 Jan 2020, 9:16 PM IST
क्यों सरकार ने इस मामले में क्रेडिट रेटिंग वर्गीकरण को नजरअंदाज किया है? यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि अडाणी की कंपनी को 45,000 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजना के लिए “बीबीबी” दिया गया था, जबकि महज 1000 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए ए या ए + श्रेणी अनिवार्य है।
Published: 15 Jan 2020, 9:16 PM IST
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Published: 15 Jan 2020, 9:16 PM IST