कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मोहन प्रकाश ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस समय देश की कमान उन लोगों के हाथ में है, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में आंदोलनकारियों का नहीं, अंग्रेजों का साथ दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसे लोगों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।
राजस्थान के अलवर जिले में भीकमपुरा स्थित तरुण भारत संघ के आश्रम में चले तीन दिवसीय चिंतन शिविर में हिस्सा लेने आए कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश ने कहा कि बीजेपी नेताओं द्वारा कांग्रेस नेताओं के लिए सांप, नेवला, कुत्ता-बिल्ली जैसे शब्दों का प्रयोग कर हमला किए जाने से पता चलता है कि इनका स्तर कितना गिर चुका है।
उन्होंने कहा, "बीजेपीऔर आरएसएस का संस्कार यही है, आदमी का जो संस्कार होता है, उसी के मुताबिक वह शब्दों का चयन करता है। सत्ता के अहंकार में चूर इन लोगों के पास अब इंसानों के लिए कुछ नहीं बचा है, इसलिए वे इंसानों को जानवर मानने लगे हैं, कुत्ता, बिल्ली, बिच्छू कहने लगे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जिन्हें न्यायालय के आदेश पर अपने ही राज्य से निकाल दिया गया था, उनसे क्या अपेक्षा की जा सकती है।"
राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने को मोहन प्रकाश ने कांग्रेस के लिए फायदेमंद माना। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा इस देश में जब भी चुनौतियां आईं, उनका मुकाबला किया। अंग्रेजों का भी मुकाबला किया, आज अंग्रेजों का साथ देने वालों की सोच के लोगों की सरकार है। ये महात्मा गांधी और स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों को क्या समझें। कांग्रेस आज स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों की रक्षा के लिए फिर से संघर्ष कर रही है।"
मोहन प्रकाश ने आगे कहा कि देश की कमान उन लोगों के हाथों में आ गई है, जिनका देश के स्वतंत्रता आंदोलन में किसी तरह का योगदान तो दूर की बात, इसके उलट उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था। इस देश का जो आधार रहा, उसके विपरीत इनकी सोच रही। लोगों से तरह-तरह के वादे कर सत्ता में आ गए। अब लोग इनकी असलियत समझ गए हैं।"
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अपनी बात को आगे बढ़ाते उन्होंने हुए कहा, "देश को चलाने के लिए, समस्याओं के निराकरण के लिए जिस सोच-समझ की जरूरत है, वह इनमें नहीं है, यही कारण है कि यह सरकार हर मोर्चे पर असफल रही। कोई एक वर्ग बता दो जिसकी आमदनी में चार साल में इजाफा हुआ हो, सुकून महसूस किया हो।"
एक सवाल के जवाब में मोहन प्रकाश ने कहा, "देश में जो भी समस्याएं इस समय हैं, वे सारी मानव निर्मित हैं। उदाहरण के तौर पर नोटबंदी। रिजर्व बैंक ही यह नहीं बता पा रहा है कि कितने पुराने नोट आ चुके हैं। इस बात पर कोई भरोसा नहीं कर सकता कि अभी तक नोट ही नहीं गिने गए। इसके बाद जीएसटी लागू किया गया। इसका नियम-कायदा न तो देने वालों को पता है और न ही लेने वाले को। इन दोनों फैसलों ने देश के आम आदमी से लेकर व्यापारी तक को मुसीबत में डाल दिया है।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में जिस बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत किया गया था, उसे यह सरकार पूरी तरह खत्म करने में लगी है। दुनिया में वर्ष 2007 से 2009 के बीच जब बैंक नीलाम हो रहे थे, तब मनमोहन सिंह सरकार ने कर्मचारियों को छठा वेतनमान देकर बैंकों को बचाया। इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण न किया होता तो हमारे बैंक भी उसी समय यूरोप और अमेरिका के बैंकों की तरह नीलाम हो जाते।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौजूदा सरकार के पास समस्याओं के निराकरण का कोई रास्ता नहीं है, लिहाजा उसका अंतिम हथियार है सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ो। अब तो ये उससे भी आगे निकल गए और इसमें लग गए हैं कि जातियों को आपस में लड़ाओ। यह उनकी साजिश है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, "क्या कारण है कि जहां उनकी सरकार है, उन्हीं राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान में जातीय हिंसा हुई। इन दोनों राज्यों में वे उपचुनाव हारे हैं और आने वाले चुनाव में हारने वाले हैं। पंजाब, जहां 30 फीसदी दलित हैं, वहां कोई जातीय हिंसा नहीं होती। वहां इन राज्यों की तुलना में ज्यादा बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। भाजपा को समझ लेना चाहिए कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।"
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