केन्द्र की मोदी सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। और इसी के तहत सरकार ने हाल में एक नोटिफिकेशन जारी कर कुछ राज्यों को अपने यहां रह रहे शरणार्थियों को देश की नागरिकता प्रदान करने की शक्ति दी थी। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार के इस कदम के खिलाफ असम में उसकी सहयोगी पार्टी असम गण परिषद् ने मोर्चा खोल दिया है। यहां तक कि इस मुद्दे पर असम गण परिषद ने असम में बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ने की धमकी भी दे डाला है।
असम गण परिषद के प्रवक्ता सत्यब्रत कालिता ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि उन्हें लगता है कि बीजेपी सिटीजनशिप कानून में बदलाव करना चाहती है और यह उस दिशा में उसका पहला कदम है। उन्होंने कहा कि वो देखना चाहते हैं कि असम के लोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। असम गण परिषद केंद्र के प्रस्तावित सिटिजनशिप बिल, 2016 का विरोध कर रही है। इसके विरोध में एजीपी ने बीते सप्ताह असम बंद का आयोजन भी किया था और एक बड़ी रैली की थी। इससे दो दिन पहले भी एजीपी ने साफ तौर पर धमकी दी थी कि अगर केंद्र सरकार सिटीजनशिप कानून पास करती है, तो वे उससे नाता तोड़ लेंगे।
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बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी कर देश के 7 राज्यों- गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के गृह सचिवों और जिलाधिकारियों को यह शक्ति दी है कि वह सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6 के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) को नैचुरलाइजेशन (नागरिकता) सर्टिफिकेट जारी कर सकते हैं। इस सर्टिफिकेट के बाद शरणार्थी भारतीय नागरिक हो जाएंगे। केन्द्र सरकार का यह विशेष प्रावधान 2 साल तक वैध रहेगा। इस तरह सरकार देश में करीब 3 लाख लोगों को नागरिकता देने की योजना बना रही है।
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केंद्र सरकार के इसी फैसले से एजीपी ने नाराजगी जताई है। एजीपी का मानना है कि बीजेपी बाद में अपनी इस योजना का विस्तार असम में भी करेगी और राज्य में रह रहे बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दे देगी। हालांकि असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने ऐसी किसी योजना से इनकार किया है। उनका कहना है कि गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन का प्रस्तावित सिटिजनशिप बिल से कोई लेना-देना नहीं है। सरमा ने कहा कि सिटिजनशिप बिल फिलहाल जेपीसी के पास है, जहां से उसे संसद में भेजा जाएगा। जहां उस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
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