देश भर में राष्ट्रीय नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी है। मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया को मंजूरी देते हुए इसके लिए 3,941.35 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी गई। इसका मकसद 2021 की जनगणना के लिए देश के नागरिकों की व्यापक पहचान का डेटाबेस तैयार करना है। इसमें ब्यौरावार जानकारी जुटाने के साथ ही नागरिकों की बायोमेट्रिक जानकारी भी जुटाई जाएगी।
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एनपीआर के लिए धन आवंटन के प्रस्ताव पर मुहर लगते ही अब इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार यह प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा देश भर में घर-घर जाकर लोगों की गणना की जाएगी। दूसरे चरण में 9 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2021 के बीच लोगों से जुटाई गई जानकारी को अद्दतन करने का काम होगा। इसके बाद तीसरे चरण में 1 मार्च से 5 मार्च के बीच जुटाए गए आंकड़ों में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
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बता दें कि एनपीआर देश के सभी सामान्य नागरिकों का ब्यौरावार रजिस्टर या पंजी है। यह नागरिकता अधिनियम-1955 के प्रावधानों के तहत है। यह प्रखंड, अनुमंडल, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाना है। अंतिम बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए आंकड़े 2011 की जनगणना के लिए जुटाए गए थे। इन आंकड़ों को फिर डिजिटल करने के बाद इसके आंकड़ों को 2015 में अपडेट किया गया था। अब सरकार ने फैसला लिया है कि 2021 की जनगणना में असम को छोड़कर अन्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के आंकड़ों को फिर से अपडेट किया जाएगा।
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एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद बताया जाता है, वहीं एनपीआर का उद्देश्य अपने नागरिकों का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए उसकी डिजिटल जानकारी एकत्र करना है। इसमें छह महीने या उससे अधिक समय से किसी क्षेत्र में रह रहे निवासी चाहे वह बाहरी ही क्यों न हो उसके लिए एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। एनपीआर का एक और मकसद नागरिकों के समस्त ब्यौरे का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।
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