मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने छह दिन पहले आरक्षण के मुद्दे पर शुरू किया अपना अनिश्चितकालीन अनशन बृहस्पतिवार को निलंबित कर दिया और समुदाय की मांगों को स्वीकार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को एक महीने का समय दिया ।
उन्होंने यह घोषणा उस समय की जब महाराष्ट्र के मंत्री और मराठा आरक्षण उप-समिति के सदस्य शंभूराज देसाई, शिवसेना सांसद सांदीपन भुमरे ने जालना जिले में उनके पैतृक गांव अंतरवाली सरती में उनसे मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की।
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इससे पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने भी अंतरवाली सरती में जरांगे से मुलाकात की।
धरना स्थल पर लोगों को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा, "हम मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को एक महीने का समय दे रहे हैं। लेकिन हम आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी भी जारी रखेंगे। अगर सरकार हमें आरक्षण नहीं देती है तो हम इसमें (चुनाव में) जाएंगे और इसे (आरक्षण) हासिल करेंगे।"
उन्होंने कहा, "अगर एक महीने में मांगें पूरी नहीं की गईं तो न तो विपक्ष के सदस्य और न ही सरकार में बैठे लोग हमारे पास आएं। हम (राज्य विधानसभा चुनावों में) उम्मीदवारों के नाम घोषित करके उन्हें हरा देंगे।"
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जरांगे ने आठ जून से अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। वह मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के "सगे सोयरे" (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है। साथ ही वह कुनबियों को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए एक कानून की भी मांग कर रहे हैं।
कुनबी एक कृषि प्रधान समूह है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है। जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, जिससे वे आरक्षण के लाभ के लिए पात्र बन सकें।
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जरांगे से मुलाकात के बाद मंत्री देसाई ने कहा, "इस मुद्दे पर कल एक बैठक बुलाई जाएगी। पिछले पांच महीनों में से दो महीने आदर्श आचार संहिता (लोकसभा चुनावों के लिए) लागू होने में बीत चुके हैं। हम एक महीने में मराठा समुदाय की मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेंगे। अगर काम में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता होगी, तो हम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अनुमति से ऐसा करेंगे।"
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जरांगे से मुलाकात के बाद दानवे ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि उन्होंने मराठा समुदाय की मांगें स्वीकार कर ली हैं, तो उन्हें पूरा करना उनकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, "सरकार ने वाशी में (जारंगे की मांगों पर) मराठा समुदाय को मसौदा अधिसूचना सौंपकर मूर्ख बनाया है। अगर सरकार ने अधिसूचना जारी की है, तो इस पर निर्णय लिया जाना चाहिए।"
मंत्री सावंत ने कहा, "आंदोलन जल्द से जल्द खत्म होना चाहिए। सरकार को जल्दी से जल्दी फैसला लेना चाहिए और मराठा समुदाय को जश्न मनाने का मौका देना चाहिए।"
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