हरियाणा में मध्य प्रदेश के व्यापम से भी बड़ा माना जा रहा नौकरी घोटाला क्या खट्टर सरकार ने रफा-रफा कर दिया है? सरकार के एक्शन और रवैये से तो यही साबित हो रहा है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इसको लेकर राज्य की भाजपा-जजपा सरकार पर एक बार फिर बड़ा हमला बोला है। सुरजेवाला ने कहा है कि 17 नवंबर को हरियाणा के ‘‘महाव्यापम नौकरी घोटाले’’ के उजागर होने के लगभग एक महीने बाद एक बात साफ हो गई है कि नौकरियों की दलाली खा रहे ‘‘दुर्योधनों’’ को ‘‘धृतराष्ट्र’’ की तरह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का समर्थन और संरक्षण है। खट्टर सरकार अपराधियों को जांच के दायरे से बचा ‘‘ऑपरेशन एयरलिफ्ट’’ चला रही है।
भाजपा-जजपा सरकार ‘अटैची कांड’ पर ‘‘पर्दा डालने’’-‘‘दबाने’’-‘‘छिपाने’’-‘‘भटकाने’’-‘‘दलालों को बचाने’’ में जी-जान से लगी है। हरियाणा के नौजवान अब खुलेआम कह रहे हैं। सुरजेवाला ने तंज कसते हुए कहा कि पहले नौकरियों में चोरी, अब खुलेआम सीनाजोरी! चोरों ने चोरों से कहा- ‘सब चंगा सी’! कर रही है लीपापोती - खट्टर सरकार की नीयत खोटी!
सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा कि घोटाले की परतों को दफन करने की फ़िराक में लगी खट्टर सरकार और विजिलेंस विभाग को तीन सप्ताह से सांप सूंघा हुआ है। प्रदेश के लाखों युवा खून के आंसू रो रहे हैं और मुख्यमंत्री उत्सव मना रहे हैं। जांच को रफा-दफा करने में आज तक ऐसी निर्लज्जता और बेहयाई का कोई उदाहरण देश में नहीं है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कमाल की बात तो यह है कि 14 दिसंबर को एचपीएससी ने 10 नए पदों की भर्ती की डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन का शेड्यूल जारी कर दिया। इन सबकी परीक्षाएं 14 सितंबर को एचपीएससी द्वारा ली गई थीं, जो एचसीएस (प्रिलिमिनरी) के 12 सितंबर को हुए पेपर के दो दिन बाद थी। इन परीक्षाओं में गोपनीयता समेत सब चीजों का कर्ता-धर्ता भी लोकसेवा आयोग का बर्खास्त उपसचिव अनिल नागर था। यही नहीं, अब एचएसएससी के दोषी भी खुद ही को निर्दोष बता क्लीन चिट दे रहे हैं। खट्टर सरकार में अपराधी ही जज बन बैठे हैं। 17 नवंबर से आज तक यानि 29 दिन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष सहमति के साथ ‘अटैची कांड’ में ‘‘ऑपरेशन कवरअप’’ और ‘‘ऑपरेशन क्लीनचिट’’ के निष्कर्ष सामने हैं। सुरजेवाला ने कहा कि एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा इस संवैधानिक पद पर नियुक्ति से पहले मुख्यमंत्री के आवास पर लंबे समय तक एडीसी रहे हैं। जहां घोटाला हो, उसके मुखिया जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। पर आज तक एचपीएससी चेयरमैन आलोक वर्मा और एचपीएससी सदस्यों को जांच के लिए न बुलाया और न शामिल किया।
आलोक वर्मा ने 9 दिसंबर को अपने इंटरव्यू में कहा कि एचपीएससी पेपरों की गोपनीयता, चेकिंग इत्यादि का सारा काम एचपीएससी के सेक्रेटरी, जो आईएएस अधिकारी हैं, की बजाय डिप्टी सेक्रेटरी, अनिल नागर को दिया गया था, क्योंकि सेक्रेटरी ने व्यक्तिगत कारणों से यह काम करने से इंकार कर दिया। क्या अब यह साफ नहीं है कि वह ‘‘व्यक्तिगत कारण’’ पेपर लीक कांड में शामिल न होना और घोटालेबाजों के साथ मिलीभगत में न जुड़ना रहे होंगे?
17 नवंबर की एफआईआर और सभी रिमांड दरख्वास्तों में एचपीएससी घोटाले के मुख्य आरोपी के तौर पर जसबीर भलारा और सेफडॉट ई. सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड नामज़द हैं। यह भी सामने आया कि एचपीएससी के पूर्व चेयरमैन ने गड़बड़ियों के चलते इस फर्म को हटा दिया था, पर आलोक वर्मा ने इन्हें फिर काम दे दिया। पुलिस या विजिलेंस ने जसबीर भलारा या सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को न तो गिरफ्तार या रेड किया और न ही जांच के लिए बुलाया या शामिल किया। उल्टा आलोक वर्मा जसबीर भलारा और उसकी कंपनी को क्लीन चिट दे रहे हैं। आलोक वर्मा और जसबीर भलारा के बीच यह रिश्ता क्या कहलाता है? खट्टर सरकार में वह कौन है, जो विजिलेंस को जसबीर भलारा और उसकी कंपनी की गिरफ्तारी और उसकी जांच करने से रोक रहा है? सुरजेवाला ने कहा कि अनिल नागर की 6 दिसंबर के बर्खास्तगी के आदेश में साफ लिखा है कि अनिल नागर की देखरेख में रखे भर्तियों के रिकॉर्ड की कोई वैधता नहीं बची। इसके बावजूद अनिल नागर की देखरेख में 14 सितंबर को हुए 10 अलग-अलग पदों के पेपरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश एचपीएससी द्वारा कल कैसे जारी कर दिया गया? साफ है कि पूरा मामला अब रफा दफा कर दिया गया है।
17 नवंबर की एफआईआर, रिमांड दरख्वास्तों और 6 दिसंबर के अनिल नागर के बर्खास्तगी आदेशों से डेंटल सर्जन और एचसीएस प्रिलिमिनरी का घोटाला, रिश्वतखोरी और घालमेल भी साफ है। पर खट्टर सरकार और एचपीएससी ने मिलकर आज तक उन पेपरों को भी रद्द नहीं किया। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि ‘‘मुख्यमंत्री भर्ती घोटाला क्लीनचिट अभियान’’ में ईमानदारी का प्रमाण पत्र खुद ही लेने में एचएसएससी चेयरमैन और मेंबर भी पीछे नहीं हैं। 17 नवंबर की एफआईआर और विजिलेंस की रिमांड दरख्वास्तों में साफ तौर से एचएसएससी के वीएलडीए, एएनएम, स्टाफ नर्स में भर्ती के लिए लाखों की रिश्वत का घोटाला उजागर हुआ। पर एचएसएससी चेयरमैन ने भी कल इंटरव्यू देकर खुद को ‘क्लीन चिट’ दे डाली और कह दिया कि रिश्वत देने वाले कैंडिडेट्स या तो इंटरव्यू में आए ही नहीं या फिर फेल हैं। सवाल सीधा है कि अगर रिश्वत देने वाले कैंडिडेट्स ने पेपर दिए ही नहीं या इंटरव्यू दिए ही नहीं तो फिर लाखों रुपये की रिश्वत किस चीज के लिए दी गई? इस पूरे मामले में तो एचएसएससी चेयरमैन, मेंबर और सारे स्टाफ की भी व्यापक जांच होनी चाहिए। पर विजिलेंस ने तो एचएसएससी में झांका तक नहीं, जांच तो दूर की बात है और ‘‘दोषियों’’ ने ‘‘खुद को निर्दोष’’ घोषित कर दिया। इसे कहते हैं, ‘‘अंधेर नगरी - चौपट राजा’’।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि एचएसएससी और एचपीएससी में रिश्वत देकर भिन्न-भिन्न पदों पर नौकरी पाने वाले (एचसीएस, डेंटल सर्जन, एएनएम, स्टाफ नर्स, वीएलडीए) कैंडिडेट्स के नाम और पेपर सामने आए। आज तक खट्टर सरकार और विजिलेंस विभाग ने न किसी को गिरफ्तार किया और न किसी की जांच की। रिश्वत देने वाले यह सारे कैंडिडेट्स भी तो आरोपी हैं तो फिर इनके नाम उजागर क्यों नहीं किए गए?
एफआईआर और रिमांड दरख्वास्तों में रिश्वत लेकर हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित एचटेट परीक्षा पास करवाने का खुलासा भी हुआ। पर न तो खट्टर सरकार और विजिलेंस विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा बोर्ड की जांच की गई, और न ही एचटेट परीक्षा पास करवाने के लिए रिश्वत लेने वाले और रिश्वत देने वाले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। पूरा मामला रफा दफा।
लीपापोती की कड़ी में अब एचएसएससी द्वारा आनन-फानन में पुरुष कॉन्सटेबल परीक्षा का नतीजा भी निकाल दिया गया। याद रहे कि यह परीक्षा 3 दिन में (31अक्टूबर, 1 नवंबर, व 2 नवंबर) डबल शिफ्ट में ली गई थी और 24 अलग-अलग पेपर दिए गए थे। चार पेपर मॉर्निंग शिफ्ट में और चार पेपर ईवनिंग शिफ्ट में। एचएसएससी द्वारा 22 सितंबर को आदेश जारी कर यह कहा गया कि अब इन 24 अलग-अलग पेपरों की नार्मलाइजेशन होगी। घोटाला यह भी है कि 24 पेपर की नार्मलाइजेशन अपने आप में असंभव है और इसीलिए एचएसएससी द्वारा न तो लिखित पेपर के रॉ मार्क्स और न ही नार्मलाइज्ड मार्क्स और न ही कंबाइंड कट ऑफ जारी की जा रही। यहां तक कि अब कांस्टेबल का फिजिकल स्क्रीनिंग टेस्ट भी एचएसएससी प्राईवेट एजेंसी से करवाएगी और उसकी वीडियोग्राफी भी नहीं होगी।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि एचएसएससी द्वारा पुलिस की सब इंस्पेक्टर पुरुष और महिला भर्ती में भी 41 पुरुष उम्मीदवारों और 9 महिला उम्मीदवारों का फर्जीवाडा स्वीकार किया गया है। पर किसी के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं। एचएसएससी ने यह भी स्वीकार किया है कि 516 पुलिस कमांडो की भर्ती में पेपर के समय दिए गए फिंगरप्रिंट्स कागज चेक करवाने के समय बायोमीट्रिक से नहीं मिल रहे। परंतु पुलिस कॉन्सटेबल मेल और सबइंस्पेक्टर भर्तियों में पेपर के फिंगरप्रिंट और कागज चेकिंग के समय बायोमीट्रिक के मिलान का प्रावधान ही नहीं किया गया। ऐसा क्यों? कमाल की बात यह है कि फिंगरप्रिंट्स और बायोमीट्रिक मिलान की जिम्मेदारी का ठेका भी प्राइवेट एजेंसी को दे दिया गया है।
विजिलेंस की लीपा पोती पूर्ण कार्यवाही से भी साफ है कि पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल जांच की ही भ्रूण हत्या कर दी गई है। आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन के गांव कोंड (भिवानी), शिव कॉलोनी, सोनीपत, सोलन, हिमाचल प्रदेश, गांव रिठाल, रोहतक, नोएडा व यूपी के अन्य ठिकानों पर आरोपियों को ले जाकर न रेड की गई और न सबूत बरामद किए गए। न तो आरोपियों का नए सबूतों के साथ दोबारा रिमांड मांगा गया और न ही रिमांड की दरख्वास्त खारिज होने की अपील अदालत में दायर की गई। यहां तक कि रिश्वत देकर नौकरी लेने वाले कैंडिडेट्स की भी जांच नहीं हुई और न ही एचपीएससी, एचएसएससी या शिक्षा बोर्ड की जांच हुई। आखिर में रिमांड कोर्ट ने साफ तौर से कहा कि विजिलेंस विभाग जांच पड़ताल और बरामदगी के बारे में गंभीर ही नहीं है। सुरजेवाला ने कहा कि साफ है- पर्दा गिर गया, जांच बंद और सब चंगा सी!
Published: 15 Dec 2021, 8:01 PM IST
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Published: 15 Dec 2021, 8:01 PM IST