मणिपुर में जातीय हिंसा के 90 दिन पूरे होने पर आदिवासी बहुल कांगपोकपी जिले में गुरुवार को आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) के आह्वान पर 12 घंटे का बंद रखा गया। ब्रिगेडियर थॉमस मैदान में बड़ी संख्या में लोगों ने दिनभर सामूहिक प्रार्थना की। सीओटीयू के एक नेता ने कहा कि तीन महीने तक चली हिंसा को चिह्नित करने और हिंसा में दिवंगत कुकी-ज़ो आत्माओं की स्मृति में सुबह से शाम तक पूर्ण बंद रखा गया था।
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सैकड़ों महिलाएं भी सामूहिक प्रार्थना स्थल के पास एकत्र हुईं और एकजुट होकर सेना और असम राइफल्स के अधिकारियों से कांगपोकपी जिले से अर्धसैनिक बलों को नहीं हटाने का आग्रह किया। 12 घंटे का पूर्ण बंद लागू करने का सीओटीयू का निर्णय टेंग्नौपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह से मणिपुर पुलिस कमांडो सहित राज्य सुरक्षा बलों को वापस लेने की उनकी मांग की पृष्ठभूमि में आया है।
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इससे पहले, सीओटीयू ने सरकार से मोरेह से पुलिस कमांडो सहित राज्य सुरक्षा बलों को वापस बुलाने की मांग की थी और अपनी मांग के समर्थन में 31 जुलाई को कांगपोकपी में धरना-प्रदर्शन किया था। सीओटीयू नेताओं ने आरोप लगाया कि मणिपुर पुलिस कमांडो सहित राज्य सुरक्षा बल, ज्यादातर मैतेई समुदाय के हैं, इसलिए वे कुकी-ज़ोमी आदिवासियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
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एक शीर्ष जनजातीय निकाय, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) भी कुकी-ज़ो समुदायों की सुरक्षा के लिए सभी पहाड़ी जिलों से "मैतेई समर्थक" राज्य बलों को वापस बुलाने की मांग कर रहा है। आईटीएलएफ ने गुरुवार को इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र भी भेजा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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