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लोकपाल चयन समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगे खड़गे, पीएम को तीसरी बार पत्र लिखकर मांगा विपक्ष का अधिकार

मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर एक बार फिर लोकपाल की नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। खड़गे ने लोकपाल चयन में विपक्ष को कोई अधिकार नहीं दिये जाने के विरोध में यह कदम उठाया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे

लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल के चयन के लिए 19 जुलाई को प्रस्तावित चयन समिति की बैठक में शामिल होने से एक बार फिर इनकार कर दिया है। इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखकर उन्होंने अपना विरोध जताया है। पीएम मोदी को लिखे पत्र में खड़गे ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि लोकपाल चयन समिति की 1 मार्च 2018 और 10 अप्रैल 2018 को हुई बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाए जाने के विरोध में लिखे गए उनके पत्र को न सिर्फ अनदेखा किया गया बल्कि उस पर कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। उन्होंने आगे कहा कि सरकार लगातार लोकपाल चयन समिति की बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर भाग लेने का निमंत्रण दे रही है, जबकि लोकपाल अधिनियम की धारा 4 में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। खड़गे ने पीएम को लिखे पत्र में कहा, “आपकी सरकार को 4 साल हो चुके हैं और अगर आपकी लोकपाल जैसी अहम नियुक्ति में विपक्ष की राय को भी शामिल करने की नियत होती तो अब तक इसके लिए प्रावधान किया जा चुका होता।”

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खड़गे ने आगे कहा कि चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने, अपनी राय दर्ज कराने और वोट देने के अधिकार के बगैर बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य बैठक के लिए आमंत्रित करना देश के लोगों की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। उन्होंने कहा कि लोकपाल पर सेलेक्ट कमेटी ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को बतौर सदस्य चयन समिति में शामिल करने के लिए लोकपाल अधिनियम में संशोधन की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने आज तक यह संशोधन सदन के समक्ष नहीं रखा, लोकपाल नियुक्ति की प्रक्रिया से विपक्ष को अलग रखने की सरकार की दृढ़ता को साफ दर्शाता है।

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कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि सरकार का सुप्रीम कोर्ट में रुख और कदम इस बात का दर्शाता है कि मोदी सरकार में लोकपाल जैसे अहम मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है। उन्होंने आगे कहा, “वास्तव में सूचना का अधिकार कानून और व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा कानून को कमजोर करने समेत सरकार के हाल के कई कदम भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को मजबूत करने और आम आदमी को सशक्त करने के मोदी सरकार के दावों की पोल खोलते हैं।”

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