महाराष्ट्र में किसानों और राज्य सरकार के बीच बातचीत विफल हो गई है। जिसके बाद किसानों ने नासिक से मुंबई तक का अपना 200 किलोमीटर लंबा 'किसान लॉन्ग मार्च -2' फिर से शुरू कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से किसानों को मनाने की कोशिश की गई थी लेकिन सफलता नहीं मिली।
किसानों का कहना है कि वे राज्य व केंद्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार के किसानों के साथ किए गए 'विश्वासघात' का विरोध कर रहे हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की किसान शाखा अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) द्वारा आयोजित मार्च में राज्य भर के किसान भागीदारी कर रहे हैं। आठ दिवसीय मार्च 27 फरवरी को मुंबई में विधानसभा के बजट सत्र के साथ समाप्त होगा।
महाराष्ट्र सरकार में जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन किसानों को मनाने के लिए नासिक पहुंचे थे। उनसे मार्च समाप्त करने का आग्रह भी किया लेकिन किसान नहीं माने। किसान बीजेपी के वादाखिलाफी से नराजा हैं।
एआईकेएस प्रवक्ता पीएस प्रसाद ने कहा, "मंत्री और किसान नेता के बीच देर रात डेढ़ बजे तक एक मैराथन बैठक चली लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। इसलिए, मार्च आज सुबह फिर से शुरू हो गया है।"
एआईकेएस अध्यक्ष अशोक धावले ने गुरुवार को संकल्प लिया कि मार्च तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उन्हें उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन नहीं देती। इस बार किसानों की संख्या पिछले साल के मुकाबले करीब 50 हजार ज्यादा है। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार मार्च में बाधा डाल रही है और शांतिपूर्ण जुलूस के खिलाफ पुलिस के माध्यम से दबाव बना रही है।
प्रसाद ने कहा कि कई जगहों पर किसानों को परेशान किया जा रहा है। बिना किसी कारण के पुलिस द्वारा किसानों को रोका जा रहा है। कई किसानों को हिरासत में लिए जाने की भी खबर है।
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