ग्वालियर के मेला मैदान में देश के अलग-अलग राज्यों से जमा हुए हजारों भूमिहीनों में केंद्र की मोदी सरकार के रवैये को लेकर खासी नाराजगी है। इस मौके पर एकता परिषद के संस्थापक पी वी राजगोपाल ने कहा, “केंद्र सरकार ने अगर मांगें नहीं मानीं तो 2019 के लोकसभा चुनाव में नतीजे भुगतने को तैयार रहे।” राजगोपाल के आह्वान पर वहां मौजूद हजारों लोगों ने दोहराया कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो आने वाले चुनाव में केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनेगी।
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एकता परिषद के बैनर तले देश भर के हजारों भूमिहीनों को इकट्ठा करने वाले परिषद के संस्थापक पी वी राजगोपाल का कहना है कि अपना हक पाने के लिए अपनी ताकत का एहसास कराना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से गरीब और वंचित वर्गों को उनका हक दिलाने की बातचीत चल रही है, अगर इन मांगों को नहीं माना जाता है तो इस वर्ग को आगामी चुनाव में अपनी ताकत दिखानी होगी।
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जनांदोलन की मंगलवार को ग्वालियर से शुरुआत हुई। ग्वालियर के व्यापार मेला स्थित मैदान में बड़ी संख्या में देशभर से हजारों भूमिहीन जुटे हैं। अलग-अलग राज्यों से जनआंदोलन में आए लोग अपनी-अपनी समस्याएं सुना रहे हैं।
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अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों से आए भूमिहीन मेला मैदान में दिन रात डटे हुए हैं। ये सभी 3 अक्टूबर तक यहां विचार-मंथन करेंगे और उसके बाद 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
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जनांदोलन के पहले दिन 2 अक्टूबर को अपना समर्थन देने आए जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान दौर में सरकारों का नजरिया बदल गया है। वह जनता नहीं, उद्योगपतियों के लिए काम करती हैं। यही कारण है कि देश में जल, जंगल और जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा होता जा रहा है। जनांदोलन में हिस्सा लेने आए गांधीवादी सुब्बा राव और बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा ने आजादी के सात दशक बाद भी लोगों को छत न मिलने और जमीन न होने का जिक्र किया।
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एकता परिषद अन्य सामाजिक संगठनों के साथ भूमिहीनों के हित में पहले भी कई बार आंदोलन कर चुका है। उसे हर बार सिर्फ आश्वासन मिले। इस बात से सभी में खासी नाराजगी है। इस बार सत्याग्रही अपना हक लेने का मन बनाए हुए हैं। ये सत्याग्रही 3 अक्टूबर तक मेला मैदान में विचार-मंथन करेंगे और उसके बाद 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
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एकता परिषद के राजगोपाल ने बताया कि यह आंदोलन 5 मांगों को लेकर है। उनकी मांग है कि आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून (वूमन फार्मर राइट एक्ट), जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालयों का गठन, राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन, वनाधिकार कानून-2005 व पंचायत अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निगरानी समिति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि इससे पहले 2007 में जनादेश और 2012 में जन सत्याग्रह के दौरान केंद्र सरकार के साथ लिखित समझौते हुए थे, मगर उन पर अब तक न तो अमल हुआ और न ही कानून बन पाया है।
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2 अक्टूबर से ग्वालियर में शुरू हुए ‘जन आंदोलन 2018’ के 4 अक्टूबर से ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ में हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से लोगों के पहुंचने का दौर जारी है और उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली के रास्ते में हजारों की संख्या में लोग इस पदयात्रा में शामिल होते जाएंगे।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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