मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर मामले में कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम (सीईआरटी) की रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टी होने के बाद राज्य की आर्थिक अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। बुधवार को ईओडब्ल्यू ने हजारों करोड़ रुपये के इस मामले में 8 कंपनियों, उनके संचालकों समते कई अज्ञात नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की कई धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किए हैं।
आर्थिक अपराध शाखा ने बुधवार को इस बात का खुलासा किया है कि सीईआरटी की रपट आने के बाद आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 120बी, और 66 आईटी एक्ट, सात सी और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 की धारा 13 (2) के तहत प्रकरण दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू के महानिदेशक केएन तिवारी ने बताया कि 2018 के ई-टेंडर घोटाले के संबंध में अज्ञात व्यक्तियों और 7 कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, "आरोपियों ने डिजिटल सिग्नेचर की हासिल कर निविदा की बोली उन कंपनियो के अनुसार बदल दिया जिन्हें वे फायदा पहुंचाना चाहते थे। बाद में सभी निविदाओं को निरस्त कर दिया गया था।
बता दें कि व्यापमं से भी बड़े ई-टेंडरिंग घोटाले में लगभग 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की आंशका है और कांग्रेस ने अपने विधानसभा के चुनावी वचन-पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था। इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू के पास थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने सीईआरटी की मदद ली, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ई-टेंडरिंग में छेड़छाड़ हुई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने पांच विभागों, 8 कंपनियों और अज्ञात अधिकारियों और राजनेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
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