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मेहनत से मिटी हाथों की लकीरों को पहचानने से इंकार कर रहीं मशीनें, कड़ी धूप में घंटों इंतजार कर भी नहीं मिल रहा राशन

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही रिकाॅर्ड राशन वितरण का दावा करे, लेकिन हकीकत में दुश्वारियां इतनी अधिक हैं कि राशन लेने के लिए लोगों को जान तक गंवानी पड़ रही है। कई जगह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक है और वहां दुपहरी की धूप में घंटों इंतजार करना कितना मुश्किल है।

फोटो: पूर्णिमा श्रीवास्तव
फोटो: पूर्णिमा श्रीवास्तव 

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही रिकाॅर्ड राशन वितरण का दावा करे, लेकिन हकीकत में दुश्वारियां इतनी अधिक हैं कि राशन लेने के लिए लोगों को जान तक गंवानी पड़ रही है। कई जगह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक है और वहां दुपहरी की धूप में घंटों इंतजार करना कितना मुश्किल है, यह समझा जा सकता है। वहीं, तमाम ऐसे भी लोग हैं जिनकी हाथों की लकीरें मिट चुकी हैं इसलिए उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

यूपी सरकार ने 15 अप्रैल से अंत्योदय से लेकर पात्र गृहस्थी के हर लाभार्थी को प्रति यूनिट पांच किलो चावल मुफ्त देने की घोषणा की है। दावा प्रति यूनिट एक किलो अरहर दाल देने का भी था। दाल की उपलब्धता नहीं होने पर खड़ा चना देने की बात है। तमाम जिलों में कार्डधारक चने को लेकर भी नाउम्मीद हो रहे हैं। जरूरतमंदों के पास राशन कार्ड नहीं होने की स्थिति में आधार कार्ड के आधार पर अनाज देने का दावा है। इसी दावे के आधार पर खाद्य विभाग के अपर आयुक्त सुनील कुमार वर्मा कहते हैं कि 61 लाख परिवारों के 2.59 करोड़ लोगों में लगभग 1.3 लाख मीट्रिक टन निशुल्क चावल का वितरण किया जा चुका है। 15 और 16 अप्रैल को 1.14 करोड़ कार्डधारकों 2.44 लाख एमटी राशन दिया गया। लोगों की जरूरतों को देखते हुए करीब 1.84 लाख नए राशन कार्ड बनाए गए हैं। वहीं 8,649 दिव्यांगजनों को राशन की होम डिलीवरी की गई।

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फोटो: पूर्णिमा श्रीवास्तव

लेकिन कुशीनगर से मैनपुरी और गोरखपुर से वाराणसी तक जिस तरह की शिकायतें मिल रही हैं, उससे तो नहीं लगता कि सरकारी दावा कहीं से भी सही है। लोगों की मुश्किलों को लेकर प्रशासन ने हर जिले में केंद्रीय कंट्रोल रूम बनाया है। इनमें रोज औसतन 1,000 से अधिक शिकायतें आ रही हैं। इनमें करीब 30 फीसदी तो राशन वितरण को लेकर हैं। सामाजिक कार्यकर्ता तेज प्रताप कहते हैं कि कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों को राजनीतिक संरक्षण के चलते ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। दरअसल, राशन के लिए धूप में घंटों का इंतजार और सर्वर डाउन होने की शिकायत आम है। धूप से बचने को न तो छांव का इंतजाम है, न ही सहूलियत को लेकर टोकन की व्यवस्था। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें जनसेवा केंद्रों में आवेदन की नसीहत दी जा रही है। गोरखपुर नगर निगम में पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी कहते हैं कि प्रशासन के अधिकारी गरीबों को यह नहीं बता रहे हैं कि लॉकडाउन में जनसेवा केंद्र कहां खुले हैं? यदि किसी गली में खुले भी हैं, तो क्या वहां तक पुलिस की लाठी से बचकर पहुंचना संभव है?

औरैया में भी राशन वितरण में तमाम शिकायतें हैं। यहां सोशल डिस्टेन्सिंग का अनुपालन कराने में पुलिस को लाठियां भाजनी पड़ रही हैं। अलीगढ़ में राशन वितरण के दौरान झड़प में 12 लोग घायल हो गए। करीब 150 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। वहीं एक दूसरी घटना में बीजेपी पार्षद वीरेंद्र सिंह को राशन वितरण के समय मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मैनपुरी जिले के ग्रामीणों ने तो राशन वितरण के गोलमाल का वीडियो बनाकर जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचाया। नगला गोवर्धन गांव के धनीराम का कहना है कि कंट्रोल रूम में फोन करने पर नसीहत दी गई कि कोटेदार जितना राशन दे रहा है, उतना ही ले लो। यहां के डीएसओ यूआर खान अजीबोगरीब बयान देते हैंः ईमानदारी से चावल वितरण किया जा रहा है। कुछ लोग बेवजह शिकायत करने में जुटे हैं।

ऐसी ही दुश्वारियों के बीच बदायूं में राशन लेने गई एक महिला को जान से हाथ धोना पड़ा। महिला दो दिन से घर से डेढ़ किलोमीटर कोटेदार के दुकान पर जा रही थी, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लग रही थी। बदायूं जिले में सालारपुर ब्लॉक के प्रह्लादपुर गांव की शमीम बानो बीते 17 अप्रैल को राशन के लिए लाइन में लगी थीं। शमीम बानो के पति दिल्ली में किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं जो लॉकडाउन के चलते वहीं फंसे हुए हैं। दुखद यह है कि यहां जिला पूर्ति अधिकारी और कोटेदार के बयान अलग-अलग तथ्य तस्दीक कर रहे हैं। डीएसओ रामेंद्र प्रताप का कहना है कि महिला दस मिनट पहले ही आई थी और अचानक बेहोश हो गई। यहां रोजाना चालीस-पचास लोगों को राशन दिया जा रहा है। वहीं कोटेदार गणेश प्रसाद का बयान विरोधाभासी है। उनका कहना है कि घटना के वक्त ग्यारह बज रहे थे और तब तक महज आठ-दस लोगों को ही राशन मिल पाया था। महिला तीस-पैंतीस लोगों के बाद लाइन में खड़ी थी। सर्वर बहुत धीमे चल रहा था इसलिए लोगों को राशन मिलने में देरी हो रही थी। गांव के प्रधान सर्वजीत बताते हैं कि महिला बहुत ही गरीब है। उनका न तो राशन कार्ड था और न ही बैंक में कोई अकाउंट है। इसीलिए दूसरी मदद नहीं मिल पाती है।

आधार कार्ड का फिंगर प्रिंट मैच नहीं हो रहे

कई लोग ऐसे हैं जिनके हाथ की लकीरें ही उनका साथ नहीं दे रही है। अंगुलियों की रेखाएं मिटने की वजह से ई-पॉश मशीन उसे स्वीकार नहीं कर रही है। लिहाजा कोटेदार भी थम्ब इम्प्रेशन न मिलने का हवाला देकर अंगूठा दिखा दे रहे हैं। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर पहुंचते ही कोटेदार रजिस्टर में दर्ज नाम से कार्ड के नंबर और आधार कार्ड का मिलान करता है। इसके बाद मशीन में कार्डधारक का अंगूठा लगवाता है। कोटेदार पांच बार अंगूठे के निशान मैच करवाने का प्रयास करता है लेकिन जीविका चलाने के लिए हाथों की लकीरें खो चुके कई लोगों को मायूसी ही मिलती है। ऐसे बदनसीबों को कोटेदार असमर्थता जताकर वापस कर रहे हैं। लखनऊ में जिंदौर निवासी मोहम्मद हुमैर ने बताया कि घंटों लाइन के बाद बारी आई तो ई-पास मशीन से अंगूठे के निशान का मिलान नहीं हो सका। इसके चलते उन्हें राशन नहीं मिला। वहीं, मोहनलालगंज के मंगटैय्या ग्राम पंचायत कोटेदार राम अधार की दुकान पर 33 अंत्योदय कार्ड धारक थम्ब इम्प्रेशन के मिलान नहीं हो से लाभ से वंचित रहे। गोरखपुर के बेतियाहाता के महेश वर्मा ने बताया कि कोटेदार ने पांच बार अंगूठा लगवाया लेकिन फिंगर प्रिंट मैच नहीं हुआ। लिहाजा उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा।

गोरखपुर में कोटेदार जोखन यादव ने बताया कि अधिकारियों का निर्देश है कि जिन लोगों के थम्ब इम्प्रेशन नहीं मिल रहे हैं, उन्हें 26 अप्रैल (मुफ्त चावल बांटने के आखिरी दिन) को राशन दिया जाएगा। कुल कार्डधारकों में सिर्फ एक फीसदी को ही इस तरह राशन दिया जा सकता है। लखनऊ के डीएसओ सुनील सिंह का कहना है कि जिन लोगों का थम्ब इम्प्रेशन नहीं मिल रहा है, उन्हें 26 अप्रैल को राशन देने के लिए व्यवस्था की गई है। इसके लिए कोटेदारों को निर्देश दिए गए हैं।

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