गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार से जुड़े अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने का ऐलान किया। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर की जमीन देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए खुल गई है। यही नहीं दूलरे राज्यों के लोग अब जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी के हकदार भी होंगे। हालांकि अभी भी 11 ऐसे राज्य हैं जहां अनुच्छेद 370 की तरह ही अनुच्छेद 371 लागू है और इस अनुच्छेद के तहत उन राज्यों को विशेष अधिकार हासिल है।
आइए जानते हैं कि कौन से वो 11 राज्य हैं जिन्हें अनुच्छेद 371 के तहत विशेष अधिकार हासिल हैं।
Published: 06 Aug 2019, 3:34 PM IST
महाराष्ट्र और गुजरात में आर्टिकल 371 लागू है। इस धारा के तहत वहां के राज्यपाल को कुछ विशेष अधिकार हासिल है। महाराष्ट्र के राज्यपाल विदर्भ और मराठवाड़ा में अलग से विकास बोर्ड बना सकते हैं। इसी तरह गुजरात के राज्यपाल भी सौराष्ट्र और कच्छ में अलग विकास वोर्ड बना सकते हैं। टेक्निकल एजुकेशन, वोकेशनल ट्रेनिंग और रोजगार के लिए उपयुक्त कार्यक्रमों के लिए भी राज्यपाल विशेष व्यवस्था कर सकते हैं।
हैदराबाद और कर्नाटक क्षेत्र में अलग विकास बोर्ड बनाने का प्रावधान है। इनकी सालाना रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाती है। बताए गए क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए अलग से फंड मिलता है लेकिन बराबर हिस्सों में। सरकारी नौकरियों में इस क्षेत्र के लोगों को बराबर हिस्सेदारी मिलती है। इसके तहत राज्य सरकार के शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में हैदराबाद और कर्नाटक में जन्मे लोगों को तय सीमा के तहत आरक्षण भी मिलता है।
Published: 06 Aug 2019, 3:34 PM IST
इन दोनों राज्यों के लिए राष्ट्रपति के पास किसी खास वर्ग को किसी खास जॉब में नौकरी दिए जाने के आदेश देने के अधिकार हैं। इसी तरह शिक्षण संस्थानों में भी राज्य के लोगों को बराबर हिस्सेदारी या आरक्षण मिलता है। राष्ट्रपति नागरिक सेवाओं से जुड़े पदों पर नियुक्ति से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए हाईकोर्ट से अलग ट्रिब्यूनल बना सकते हैं।
राष्ट्रपति चाहे तो राज्य के राज्यपाल को विशेष जिम्मेदारी देकर चुने गए प्रतिनिधियों की कमेटी बनवा सकते हैं। ये कमेटी राज्य के विकास संबंधी कार्यों की निगरानी करेगी। राज्यपाल सालाना इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपते हैं।
Published: 06 Aug 2019, 3:34 PM IST
जमीन के मालिकाना हक, हस्तांतरण, मिजो समुदाय की प्रथाओं, नागरिक प्रशासन, आपराधिक न्याय संबंधी नियमों पर संसद का कानून लागू तभी लागू होगा, जब विधानसभा इस पर फैसला ले।
जमीन के मालिकाना हक और हस्तांतरण, नगा समुदाय की सामाजिक-धार्मिक परंपराओं, संसाधनों, नागरिक प्रशासन, आपराधिक न्याय संबंधी नियमों में संसद का कानून लागू नहीं होता। केंद्र इस पर तभी फैसला ले सकता है, जब विधानसभा संकल्प पारित करे।
Published: 06 Aug 2019, 3:34 PM IST
धारा 371 एच के तहत राज्य के राज्यपाल को कानून और सुरक्षा को लेकर विशेष अधिकार मिलते हैं। राज्यपाल मंत्रियों के परिषद से चर्चा करके अपने फैसले को लागू करा सकते हैं। उनके फैसले पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। उनका फैसला ही अंतिम फैसला माना जाता है।
राष्ट्रपति राज्य के आदिवासी इलाकों से चुनकर आए विधानसभा के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बना सकते हैं। यह कमेटी राज्य के विकास संबंधी कार्यों की विवेचना करके राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौपेंगे।
भारतीय संघ में सबसे आखिर में साल 1975 में शामिल हुए सिक्कम को भी संविधान में कई अधिकार हैं। आर्टिकल 371एफ ने राज्य सरकार को पूरे राज्य की जमीन का अधिकार दिया है, चाहे वह जमीन भारत में विलय से पहले किसी की निजी जमीन ही क्यों न रही हो। दिलचस्प बात यह है कि इसी प्रावधान से सिक्कम की विधानसभा चार साल की रखी गई है जबकि इसका उल्लंघन साफ देखने को मिलता है। यहां हर 5 साल में ही चुनाव होते हैं।
यही नहीं, आर्टिकल 371एफ में यह भी कहा गया है, 'किसी भी विवाद या किसी दूसरे मामले में जो सिक्किम से जुड़े किसी समझौते, एन्गेजमेंट, ट्रीटी या ऐसे किसी इन्स्ट्रुमेंट के कारण पैदा हुआ हो, उसमें न ही सुप्रीम कोर्ट और न किसी और कोर्ट का अधिकारक्षेत्र होगा।' हालांकि, जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति के दखल की इजाजत है।
Published: 06 Aug 2019, 3:34 PM IST
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Published: 06 Aug 2019, 3:34 PM IST