केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने सबरीमाला मंदिर को संघर्ष क्षेत्र में तब्दील करने के लिए 'संघ परिवार' और उसके सहयोगियों को जिम्मेदार ठहराया है। विजयन ने नवंबर में फिर से मंदिर के कपाट खुलने पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने भगवान अयप्पा मंदिर पर अधिकार जताने के लिए मंदिर के तांत्री (मुख्य पुजारी) और पंडालम शाही परिवार पर निशाना भी साधा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 17 अक्टूबर को जब मंदिर मासिक पूजा के लिए खुला, उस समय मुख्यमंत्री विजयन देश से बाहर थे। अदालत के आदेश के बावजूद इस दौरान किसी भी महिला को मंदिर में प्रवेश नहीं दिए जाने पर विजयन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “मंदिर खुलने के पहले ही संघ परिवार ने अपनी योजना बना ली थी। सरकार ने किसी भी श्रद्धालु को नहीं रोका। सरकार ने सभी सहायता मुहैया करवाई, क्योंकि यह हमारा संवैधानिक दायित्व है कि शीर्ष अदालत के फैसले का पालन हो।” उन्होंने कहा कि सबरीमाला एक धार्मिक संस्था है और शांति को बनाए रखने की जरूरत थी, लेकिन संघ परिवार के लोगों ने ऐसा होने नहीं दिया।
विजयन ने कहा कि “उनका एजेंडा सबरीमाला को संघर्ष क्षेत्र में तब्दील करने का था और हम सुनिश्चित करेंगे कि आगामी उत्सव के समय (17 नवंबर से शुरू हो रहा दो महीना लंबा सत्र) सरकार शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन कराने के लिए सबकुछ करे।” उन्होंने कहा कि उस दौरान श्रद्धालुओं को मंदिर में ज्यादा देर तक नहीं रहने देने की व्यवस्था की जाएगी। श्रद्धालुओं के लिए तिरुपति मॉडल लागू किया जाएगा। उन्होंने पुलिस द्वारा महिलाओं को मंदिर में पूजा करवाने की कोशिश पर मंदिर बंद करने की धमकी देने वाले तांत्री पर कहा कि उसका बयान गैर जरूरी था, क्योंकि मंदिर को खोलने और बंद करने का अधिकार त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) को है। पंडालम शाही परिवार की ओर से मंदिर पर दावा जताने पर उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर टीडीबी की संपत्ति है और किसी का भी इसपर कोई अधिकार नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को अपने ऐतिहासिक फैसले में 10 से 50 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। इस आदेश के बाद भी इस उम्र की महिलाओं को पिछले सप्ताह पांच दिवसीय संक्षिप्त सत्र के दौरान मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया गया।
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