इन दिनों कश्मीर समेत पूरे देश में दो समुदायों के बीच होने वाली मामूली कहासुनी को भी जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है। वर्षों से साथ रह रहे दो समुदायों के लोगों के बीच दरार पैदा करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
कश्मीर में कभी पत्थरबाजी, तो कभी घुसपैठ और कभी आतंकवाद के नाम पर नफरत की आग लगाने की इस पूरी कोशिश पर ठंडा पानी डालने का काम कर रहे हैं एक बुजुर्ग सिख।
पुलवामा जिले के त्राल में एक बुजुर्ग सरदार जी सुबह-सवेरे उठकर इसलिए ढोल बजाते हैं क्योंकि रमजान का महीना चल रहा है, जिसमें सहरी के लिए मुसलमानों को सुबह जागना होता है। सहरी में सुबह फज़्र की नमाज के अजान से पहले रोजेदार कुछ खाते-पीते हैं, जिसके बाद वे दिन भर रोजा रखते हैं। ये बुजुर्ग सरदार जी जिनकी उम्र 70 साल से भी ज्यादा प्रतीत होती है, रोज रात 2 बजे उठकर जोर-जोर से ढेल बजाकर इलाके मुसलमान भाइयों को सेहरी करने के लिए जगाते हैं। ये इनका रोज का काम है, जिसमें वह एक दिन भी नागा नहीं होने देते।
Published: 29 May 2018, 6:43 PM IST
बुजुर्ग सरदार जी के इश जज्बे को देखकर किसी का भी हिंदुस्तानियत में फिर से भरोसा हो जायगा। दो धर्मों, दो समुदायों के बीच जो लोग बार-बार संबंध खराब करने की कोशिशें करते रहते हैं, उनको भी ये बुजुर्ग सरदार जोरदार जवाब देता है।
Published: 29 May 2018, 6:43 PM IST
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Published: 29 May 2018, 6:43 PM IST