कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का आखिरी सप्ताह है और 10 मई को प्रचार थम जाएगा। इस दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस, मुख्य विपक्षी बीजेपी और एच डी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस ने अपना पूरा जोर लगा दिया है।
आज हम बात करेंगे कर्नाटक की वरुणा विधानसभा सीट की। यह सीट इस मायने में खास है कि ये मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सीट है। वे यहां से दो बार चुनाव जीते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इस सीट से अपने बेटे को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारा है। इसी सीट से बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा के बेटे के भी चुनाव लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन ऐन मौके पर उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिसे लेकर बीजेपी में काफी हो-हल्ला भी हुआ था।
वरुणा सीट कर्नाटक का निर्वाचन क्षेत्र संख्या 219 है और मैसूर जिले में आती है। इस सीट पर पहली बार चुनाव 2008 में हुआ था और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जीत दर्ज की थी। दरअसल मार्च 2007 में न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता वाले भारतीय परिसीमन आयोग (डिलिमिटेशन कमीशन ऑफ इंडिया) ने बन्नूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को खत्म कर वरुणा विधानसभा क्षेत्र के गठन को मंजूरी दी थी। इस फैसले का काफी विरोध भी हुआ था। परिसीमन आयोग ने 23 मार्च 2007 को भारत के राजपत्र और कर्नाटक राजपत्र राज्य में भी प्रकाशित किया था।
वर्ष 2008 में हुए विधानसभा सभा चुनाव में वरुणा सीट से कांग्रेस नेता सिद्धारमैया (71,908) ने बीजेपी उम्मीदवार एल रवीनसिद्धैया ( 53,071 प्राप्त मत) को 18,837 वोटों से हराया था। इसके बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में भी सिद्धारमैया ने बाजी मारी और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कर्नाटक जनता पक्ष (केजीपी) के उम्मीदवार कापू सिद्धा लिंग्स्वामी को 29,641 मतों के भारी अंतर से हराया था। सिद्धारमैया को इस चुनाव में 84,385 वोट मिले थे।
2013 में राज्य की कमान संभालने वाले सिद्धारमैया ने अपने बड़े बेटे राकेश सिद्धारमैया को राजनीति में लाने की इच्छा जताई थी, लेकिन पिछले साल जुलाई माह में निधन हो जाने के कारण उनके छोटे बेटे यतींद्र सिद्धारमैया को विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की कमान सौंपी गई। राज्य सरकार ने पेशे से चिकित्सक यतींद्र को वरुणा विधानसभा क्षेत्र की सतर्कता समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया और उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों की निगरानी करने के का जिम्मा दिया। अब उन्हीं डॉक्टक यतींद्र को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
दूसरी तरफ बीजेपी ने इस सीट से थोटाडप्पा बस्वाराजू को सिद्दारमैया के बेटे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। 56 वर्षीय थोटाडप्पा बस्वाराजू लिंगायत समुदाय से हैं और 1980 से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। टी. नरसिंहपुर के रहने वाले बस्वाराजू वरुणा में 'थोटाडप्पा होम नेस्ट' नाम के एक होटल का मालिक हैं।
वैसे, वरुणा सीट पर पहले बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बी एस येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव बी वाई विजयेंद्र को टिकट दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन आलाकमान ने उनका टिकट काटकर बस्वाराजू को दे दिया, जिससे पार्टी के भीतर आतंरिक कलह पैदा हो गया। टिकट काटे जाने पर विजयेंद्र ने कहा था, "पार्टी ने वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं दिया, लेकिन मैं निराश नहीं हूं। पार्टी ने मुझे बलि का बकरा नहीं बनाया है।"
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इस सीट से जनता दल (सेक्युलर) के अभिषेक एस. मानेगर, कनार्टक जनता पक्ष के उमेश सी., इंडियन न्यू कांग्रेस पार्टी के गुरुलिंघैया, समाजवादी पार्टी की निर्मला कुमारी समेत 16 दूसरे उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
वरुणा विधानसभा क्षेत्र पर एक तरफ जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र के सामने अपने पिता की सीट को बचाने का दबाव है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा के बेटे को टिकट नहीं मिलने के बाद उम्मीदवार बने थोटाडप्पा बस्वाराजू पर खुद को साबित करने का भार।
एक और दिलचस्प बात यह है इस सीट पर काफी तादाद में मुस्लिम वोटर भी हैं और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) ने जनता दल (सेक्युलर) को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। इससे इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।
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