मार्च 2017 में गजाला की उम्र मुश्किल से 15 साल की रही होगी जिस वक़्त उसके 24 वर्षीय रिश्तेदार पर उसके साथ बलात्कार का आरोप लगा था। ये रिश्तेदार लाईन ऑफ कंट्रोल पर स्थित सबसे पिछड़े जिले पुंछ के नाका मनझारी गांव का रहने वाला है। गजाला जब गर्भवती हुई तो समाज में बेइज्जती के डर से उसके घर वालों ने पुलिस में कोई शिकायत नहीं दर्ज करायी। स्थानीय लोगों और रिश्तेदारों की मध्यस्थता के बाद 20 नवंबर 2017 को उस लड़की की उसी लड़के के साथ शादी कर दी गई, जिसके ऊपर उसकी इज्जत लूटने का आरोप है।
ये कोशिश और शादी दोनों नाकाम रहीं और शादी के महज 15 दिन के अंदर उस लड़की को उसके शौहर ने घर से बाहर निकाल दिया। इस बार पीड़िता के घरवालों ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई। 6 जनवरी को मेंढर तहसील के गरसाई पुलिस स्टेशन में रणबीर पेनल कोड (आरपीसी) की धारा 376 और 109 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई। 16 जनवरी को सीआरपीसी की धारा 164ए के तहत पुलिस ने स्थानीय अदालत में पीड़िता का बयान दर्ज कराया। लेकिन पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि वह बालिग है और अपने शौहर के साथ खुशहाल शादीशुदा जिंदगी गुजार रही थी। उसने आगे कहा कि उसके मामा ने जो शिकायत दर्ज कराई है वो गलत है और वह अपने ससुराल के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहती है।
ये बयान देने के बाद गजाला को इस बात का एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा किया गया है। उसने बताया, “मुझसे कहा गया था कि अगर मैं अपने शौहर और उसके घरवालों के पक्ष में बयान दूंगी तो वो मेरे पैदा होने वाले बच्चे को स्वीकार कर लेंगे।” गजाला ने अपना दुख बयान करते हुए कहा, “जब मैंने 25 जनवरी को मेंढर अस्पताल में अपने बेटे को जन्म दिया तो उस वक्त ना तो मेरे शौहर और ना ही मेरी ससुराल का कोई शख्स वहां आया। और उस समय से मैं अपने मां-बाप के घर पर रह रही हूं।”
जब स्थानीय पुलिस ने 29 जून 2018 को ‘नॉट ऐडमीटेड’ (यानी बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई) कह कर इस केस को बंद कर दिया, तो गजाला ने मार्च में जिला अदालत में घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया और भरण पोषण की मांग की। आरोपी ने उसके खिलाफ हाईकोर्ट की जम्मू पीठ में अपील की और इस मामले में स्टे आर्डर ले लिया।
गजाला के पिता सखरीज खान अपने आंसुओं पर मुश्किल से काबू करते हुए कहते हैं, “लोग जानवर के बच्चे का भी ख्याल रखते हैं, लेकिन उन लोगों को एक इंसान के बच्चे की कोई फिक्र नहीं।” सखरीज खान का परिवार एक कच्चे मकान में रहता है और बड़ी मुश्किल से उनका गुजारा होता है। वो अपने हालात बयान करते हुए कहते हैं, “मैं एक छोटा सा किसान हूं। वकील का खर्च, मेरे घर से 250 किलोमीटर दूर हाईकोर्ट आने-जाने का खर्च, मेरी पहुंच से बाहर है। मेरा बेटा गूंगा-बहरा है और मेरी छोटी बेटी अभी बहुत छोटी है।”
स्कूल के सर्टीफिकेट में गजाला की जन्मतिथि 1 जनवरी 2002 दर्ज है, जिसके मुताबिक इस वक्त उसकी उम्र 16 साल है। लेकिन अदालत में जो उसका बयान दर्ज किया गया है, उसके मुताबिक उसकी उम्र 19 साल है। जबकि बच्चे के जन्म के बाद जब उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई तो उस वक्त वहां से मिले डिस्चार्ज स्लिप पर उसकी उम्र 25 साल दर्ज है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि इन सबमें से किस को सही माना जाए।
इस साल जम्मू-कश्मीर बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा के क्रूर मामलों का गवाह रहा है। इसी साल जनवरी में कठुवा में एक 8 साल की बच्ची का अपहरण हुआ था। उसे नशीली दवा देकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में निर्ममता से उसका कत्ल कर दिया गया। अभी इसी महीने बारामूला जिले में एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। जिसमें एक 9 साल की बच्ची के साथ खौफनाक सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसके बे-जान जिस्म से आंखें निकालकर उस पर एसिड डाल कर उसका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया।
कठुवा पर देश भर में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद संसद में एक बिल लाकर बलात्कार के मामले में सजा के मौजूदा कानून को बदलकर उसे औऱ सख्त कर दिया गया। नये कानून के तहत अगर उस लड़की की उम्र 16 साल से कम है जिसके साथ दुष्कर्म किया गया है, तो कम से कम 10 साल की सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है, जो उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ ही इस तरह के मामले में आरोपी की अंतरिम जमानत की भी गुंजाइश खत्म कर दी गई है। बदले गए कानून में ये भी प्रावधान किया गया है कि बलात्कार के मामलों में एफआईआर दर्ज होने की तारीख से दो महीने के अंदर जांच पूरी हो जानी चाहिए।
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