उत्तर प्रदेश में अपराध की स्थिति को लेकर जो तथ्य हाल के कुछ महीनों में सामने आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। चाहे हत्या, बलात्कार जैसी आपराधिक घटनाएं हों या साम्प्रदायिक हिंसा, यूपी से लगातार ऐसी खबरें आती रहती हैं। हद तो यह है कि यूपी में पुलिस वालों की सुरक्षा भी खतरे में है। हाल में बुलंदशहर में हुई हिंसा ने इस पहलू को भी सामने ला दिया है, जहां एसएचओ सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई।
लगातार हो रही इन घटनाओं को देखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यूपी में जंगलराज होने की बात कही है। वे आज पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे तो बीजेपी ने यूपी की जनता के दिल में बहुत सारी उम्मीदें पैदा की थी। बीजेपी ने कानून-व्यवस्था की बात की थी, महिलाओं की सुरक्षा की बात की थी। लेकिन जब से बीजेपी सरकार बनी है, उत्तर प्रदेश के लोगों को इन मोर्चों पर जितनी निराशा हुई है, उसकी मिसाल कहीं और नहीं मिलती।
उन्होंने साफ-साफ कहा, “उत्तर प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है, कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। जिसे वाकई जंगलराज कहेंगे, वो उत्तर प्रदेश में है। कोई भी सुरक्षित नहीं है, सड़क पर चलने वाला सुरक्षित नहीं है, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति का व्यक्ति हो। महिलाएं सुरक्षित नहीं है, साधारण आदमी सुरक्षित नहीं है।”
आंकड़े भी गुलाम नबी आजाद की बातों की गवाही देते हैं। बेवसाइट फैक्टचेकर द्वारा 27 दिसंबर को प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले एक दशक के दौरान 2018 में सबसे ज्यादा नफरत आधारित हिंसा हुई। इनमें 30 लोगों की मौत हुई और लगभग 305 लोग घायल हुए। इन 93 आपराधिक घटनाओं में सबसे ज्यादा 27 यूपी में और उसके बाद 10 बिहार में हुईं।
इस साल फरवरी में खुद देश के गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया था कि 2017 में यूपी में 195 दंगों की घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, जिनमें 44 लोगों की हत्या हुई थी और 542 घायल हुए थे।
इस दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा तो आश्चर्यजनक रूप से बढ़ी है। अप्रैल, 2018 में बेवसाइट न्यूजक्लिक में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 में योगी सरकार के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कुल 33 फीसदी और बलात्कार में 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
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और यह स्थिति तब है जब यूपी पुलिस पूरे देश में बड़ी संख्या में अपराधियों के एनकाउंटर के लिए बदनाम है। मार्च, 2018 में अखबार द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि योगी राज के एक साल के दौरान 1000 से भी ज्यादा एनकाउंटर की घटनाओं को अंजाम दिया गया है, जिनमें 49 लोगों को मारे गए। यूपी के डीजीपी ने भी एनकाउंटर को अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी ठहराया और इसे ‘रणनीति’ का हिस्सा बताया।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस कथित रणनीति के बाद भी यूपी में अपराध क्यों नहीं रुक रहे हैं? अपराधियों के भीतर से पुलिस का डर क्यों खत्म हो रहा है? अच्छा तो यह होता कि सीएम योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार बड़े-बड़े दिखावटी वादों और दावों की बजाय अपराध नियंत्रण को अपनी प्राथमिकता में शामिल करे और यूपी को ‘जंगलराज’ से निकाले।
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