जज बी एच लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा है कि उनके पिता की मौत संदिग्ध नहीं थी, और इस मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। लेकिन उन्होंने अपने परिवार के उस वीडियो इंटरव्यू को भी नहीं नकारा जो कुछ महीने पहले एक पत्रिका को दिया गया था। इस इंटरव्यू में परिवार ने जज लोया की मौत पर संदेह जताया था।
रविवार शाम अचानक जज बी एच लोया के बेटे अनुज लोया ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अनुज ने कहा, "मेरे पिता की मौत संदिग्ध नहीं थी। पिता की मौत हार्टअटैक से हुई थी और हमें इस पर कोई शक नहीं है। कृपया हमें परेशान ना करें।'
गौरतलब है कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस लोया की मौत के मामले का जिक्र किया था।
प्रेस कांफ्रेंस में अनुज लोया ने कहा, "पिछले कुछ दिनों से मीडिया में रिपोर्ट आ रही हैं। इन मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मेरा परिवार तकलीफों में है। मैं आप लोगों से गुजारिश करता हूं कि हमें परेशान ना करें। मुझे पिता की मौत को लेकर कोई शक नहीं है। मुझे शुरुआत में थोड़ा शक था, लेकिन अब नहीं है।"
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अनुज ने कहा कि उन्हें इस मामले में कोई शक नहीं है इसलिए किसी जांच की जरूरत नहीं है. अनुज ने कहा, 'पिता की मौत के समय मैं केवल 17 साल का था और मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं था। अनुज ने कहा कि उनके परिवार को पिछले 3 साल से परेशान किया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि आगे से इस मामले को लेकर उनके परिवार को परेशान न किया जाए और वकील व एनजीओ उनके परिवार को परेशान न करें।
इस प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जज लोया के परिवार के वकील अमीर नाइक भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि, "इस मामले में कोई विवाद नहीं है। इस मुद्दे का राजनीतिककरण करने की जरूरत नहीं है। ये बेहद दुखद घटना थी। हम इस मामले की राजनीति का शिकार नहीं होना चाहते हैं। एक बार फिर में याद करा दूं कि ये विवादित नहीं था।"
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सीबीआई के स्पेशल जज बी एच लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी। तब वे अपने साथी की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे। बताया जाता है कि लोया को दिल का दौरा पड़ा था।
अनुज लोया की प्रेस कांफ्रेंस के बाद पत्रकार हरतोष बल ने ट्वीट कर कहा कि, “इस प्रेस कांफ्रेंस को खुले दिमाग से देखने की जरूरत है। जज लोया के बेटे को देखना चाहिए, न कि उनके वकील को, अनुज के जवाब सुनने चाहिए, न कि उनके वकील के, अनुज के चेहरे के भाव देखना चाहिए, न कि वकील के। इसके बाद ही अंदाजा होगा कि दरअसल लोया का परिवार इतना दबाव और तनाव में क्यों है।”
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पिछले साल नवंबर में लोया की मौत के हालात पर उनकी बहन ने शक जाहिर किया। इसके तार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जोड़े गए। इसके बाद यह केस मीडिया की सुर्खियां बना। दावा है कि परिवार को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की गई थी।
इस केस की जांच के लिए बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन के वकील अहमद आबिदी ने 8 जनवरी को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एक और याचिका महाराष्ट्र पत्रकार बीआर लोन और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने शुक्रवार को इस पर सुनवाई की। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को जस्टिस लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 15 जनवरी तक सौंपने का मौखिक आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान बेंच के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतानागौदर ने कहा था कि यह मामला बेहद गंभीर है। उधर पूनावाला का दावा था कि कुछ वरिष्ठ वकीलों ने उन पर याचिका वापस लेने के लिए दबाव बनाया।
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